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Bihar Politics: बिहार में NDA के लिए राजपूत और भूमिहार कहां बने खतरा?

लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बिहार में दुसरे चरण के मतदान मतदान के लेकर तमाम पार्टियां खूब जनसभा कर रही है. दुसरें चरण के मतदान के लिए 5 लोकसभा क्षेत्रों में वोट डालें जाएंगे. लेकिन उससे पहले बिहार में एक ऐसी खबर आ रही है जिससे बिहार में एनडीए की चिंता बढ़ जाएगी. बिहार में एनडीए और भाजपा के कोर वोटर रहे राजपूत और भूमिहार वोट में सेंधमारी होने जा रही है.लगभग 2 लोकसभा ऐसे हैं जहां भाजपा को नुकसान हो सकता है.तो चलिए जानते हैं कि कैसे बिहार में भाजपा की चिंता बढ़ सकती है?

पवन सिंह और डॉ अरूण कुमार लड़ेंगे चुनाव

आपको बता दें कि कभी भाजपा के स्टार प्रचारक रहे पवन सिंह जिन्हें बंगाल के आसनसोल से टिकट मिला था लेकिन उन्होंने चुनाव लड़ने से मना कर दिया था. अब वे बिहार के काराकाट से निर्दलीय मैदान में ताल ठोक रहे हैं. तो वहीं भाजपा गठबंधन के हिस्सा रहे लोजपा( राम विलास) के नेता और जहानाबाद के पूर्व सांसद डॉ अरूण कुमार ने भी जहानाबाद में चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं. डॉ अरूण कुमार ने हाल में ही बीएसपी की सदस्यता ली है.    

जहानाबाद में फंसा एनडीए का मामला?

एनडीए गठबुंधन का हिस्सा रहे जेडीयू के खाते में पिछली बार की तरह ही इस बार भी जहानाबाद की सीट गई है. पिछली बार, अपने सोशल इंजीनियरिंग के लिए  बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अत्यंत पिछड़ी जाति के उम्मीदवार को टिकट दिया था.इस बार भी उन पर ही भरोसा जताया है. पिछली बार इस सीट पर कड़ी टक्कर देखने को मिली थी. मात्र 1700 वोट से चुनाव में हार जीत का फैसला हुआ था. इस बार पूर्व सांसद डॉ अरूण कुमार भी मैदान में कूदने वाले हैं. अब कांटे की टक्कर में भी मुकाबला और दिलचस्प होने वाला है. अगर भूमिहार वोटर अरूण कुमार के साथ चढ़ते हैं तो एनडीए को नुकसान होता हुआ साफ दिख रहा है.      

पवन सिंह से किसे होगा नुकसान?  

पवन सिंह राजपूत जाति से आते हैं काराकाट में एनडीए की तरफ से उपेंद्र कुशवाहा चुनाव के मैदान में हैं. काराकाट की सीट पर जाति का समीकरण कुछ ऐसा है कि वहां पिछले 3 टर्म में सिर्फ कुशवाहा जाति के लोग ही सांसद बने हैं. लेकिन वहां राजपूत जाति के मतदाता भी अधिक संख्या में हैं और उनका वोट निर्णायक भी होता है. आपको बता दें कि वहां पर यादव जाति के 3 लाख मतदाता, कुर्मी-कुशवाहा 3 लाख, राजपुत 2 लाख, ब्राम्हण 80 हजार और भूमिहार मतदाता 50 हजार के आस पास हैं.

भाजपा के कोर वोटर राजपूत अगर ठोड़ा सा भी कटते हैं तो उससे भाजपा को नुकसान हो सकता है. क्योंकि राजपूत जाति के वोटर भाजपा के कोर वोटर माने जाते हैं.2019 की लोक सभा चुनाव में एनडीए की तरफ से महाबली सिंह कुशवाहा ने उपेंद्र कुशवाहा को करीब 80 हजार वोटों से हराया था. हालांकि तब वे महागठबंधन का हिस्सा थे. अब ये देखना होगा कि पवन सिंह कितना वोट काट पाते हैं…

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