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शनिवार खरना के बाद 36 घंटे का निर्जला उपवास, रविवार को छठ का पहला अर्घ्य

लाइव सिटीज, सेंट्रल डेस्क: र्योपासना का चार दिनी महापर्व छठ आज शुक्रवार को नहाय खाय के साथ आरंभ हो गया है. स्नान, ध्यान के उपरांत छठ व्रती आज शुक्रवार को कद्दू और भात ग्रहण करेंगी. प्रात: काल कई छठ व्रतियों ने नजदीक के नदी-तालाब तो कई व्रतियों ने अपने घरों में ही स्नान कर सूर्य देव को जल अर्पित करने के बाद नया वस्त्र धारण किया. सूर्य देव के समक्ष व्रत का संकल्प लिया. भगवान भास्कर से व्रत पूरा करने की शक्ति मांगी गई.

पूजा-अर्चना के बाद छठ व्रती ने दिन के भोजन में अरवा चावल का भात, सेंधा नमक से बना दाल और कद्दू की सब्जी का सेवन किया. वहीं, अगले दिन शनिवार को संध्या में खरना अनुष्ठान होगा. सूर्य देव व छठी मइया को चावल, गुड़ व दूध की खीर, रोटी, फल आदि का भोग लगाया जाएगा. यही भोग प्रसाद ग्रहण करने के बाद छठ व्रतियों का 36 घंटे का निर्जल उपवास आरंभ हो जाएगा. पूजा के बाद व्रती अपने हाथों से प्रसाद वितरित करेंगे। स्वजन के अलावा आसपास के लोग भी व्रती का पैर छूकर आशीर्वाद लेंगे. 30 अक्टूबर 2022 को अस्ताचलगामी सूर्य और 31 अक्टूबर 2022 को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा.

छठ महापर्व में शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है. शहर हो या गांव छठ महापर्व के विधान में काेई अंतर नहीं दिखता है. परंपरा के अनुसार खरना के दिन व्रती संध्या में आम की लकड़ी से मिट्टी के बने चूल्हे पर गुड़ का खीर बना कर भोग अर्पण करेंगे. प्रसाद के रूप में इसे ग्रहण करेंगे. इस दौरान नियम-निष्ठा का पूरा पालन किया जाता है। 30 अक्टूबर रविवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. इस दिन छठ घाट पहुंचने से पूर्व घर में सभी सदस्य मिलजुल कर साफ-सफाई से शुद्ध देसी घी में ठेकुआ बनाएंगे. इसी ठेकुआ, चावल के आटा और घी से बने लड्डू, पांच प्रकार के फल व दीए के साथ पूजा का सूप सजाया जाएगा.

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