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प्रशांत किशोर ने कहा – तेजस्वी को न भाषा का ज्ञान है न विषय का, टिप्पणी करनी होगी तो इजराइल और गाजा पर करेंगे

लाइव सिटीज, सीतामढ़ी: जनसुराज पदयात्रा के दौरान चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर कई दिनों से सीतामढ़ी के विभिन्न प्रखंडों का दौरा कर रहे हैं। सोमवार को बैरगनिया प्रखंड में पहुंचे थे। उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस भी किया। उन्होंने कहा कि बिहार में शिक्षा-व्यवस्था पूरी तरह चौपट है। पहले तो कुछ स्कूल ठीक भी थे, मगर सीएम नीतीश कुमार के कार्यकाल में शिक्षा ध्वस्त हो गया। नीतीश कुमार के बारे में कुछ लिखा जाएगा, तो शिक्षा-व्यवस्था को काला अध्याय के रूप में उल्लेख किया जाएगा। प्रशांत किशोर ने डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को भी नहीं बख्शा।

प्रशांत किशोर ने कहा कि 32 वर्षों से बिहार की जनता लालू-नीतीश के कारनामों से त्रस्त है। हत्या, डकैती, लूट, अवैध बालू खनन, शराब तस्करी और रेप की घटनाएं बिहार की पहचान बन गई है। बिहार में बेरोजगारी, पलायन सबसे बड़ी समस्या है। चार हजार गांव के पदयात्रा में पाया कि 40 से 50 फीसदी युवा गांव से पलायन कर चुके हैं, जिससे परिवार की परिकल्पना ही खत्म होती जा रही है। किसानों को फसल का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है, जिससे 20 हजार करोड़ का नुकसान हो रहा है।

जनसुराज पदयात्रा पर निकले प्रशांत किशोर ने कहा कि केंद्र और राज्य की योजनाओं में 10 से 40 प्रतिशत कमीशन काटा जा रहा है। भ्रष्टाचार और अफसरशाही चरम पर है। बिना पैसा का कोई काम कहीं नहीं हो रहा है। ये हलात हर विभाग की है। गत वर्ष मनरेगा में महज 38 फीसदी ही राशि बिहार खर्च किया। नल जल और पक्की गली नाली योजना की स्थिति बदतर है। उन्होंने पत्रकारों के सवाल पर कहा कि तेजस्वी यादव जैसे नेता अगर देश को नई दिशा देने लगेंगे, तो देश का कोई भला होने वाला नहीं है। इसके बावजूद तेजस्वी यादव को मेरी शुभकामनाएं

प्रशांत किशोर ने कहा कि तेजस्वी के मां-बाप मुख्यमंत्री रहे और तेजस्वी खुद उपमुख्यमंत्री हैं। बिहार को दिशाहीन कर दिया। यहां की जनता ने अगर तेजस्वी को जिम्मेवारी दी है, तो बिहार में कुछ नहीं तो वो जिन विभागों के मंत्री हैं, उनकी दशा ठीक कर दें। बिहार में अस्पतालों की दशा सुधार दें, बिहार में सड़कों की दशा सुधार दें, बिहार में ग्रामीण कार्य मंत्रालय में आने वाले नालियों-गलियों की दशा सुधार दें। देश में उनके लिए दिशा की बात करना ठीक ऐसा ही है, जैसे अंग्रेजी में कहावत है, कद से बड़ी बात करना। ऐसी बात करने वालों को बड़बोला कहा जाता है। बिहार में लोगों को इस चीज की बहुत आदत है।

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