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LIC में लगा लोगों का पैसा डूबेगा? ललन सिंह बोले-सबसे बड़े घोटाले पर बहस से क्यों भाग रही मोदी सरकार

लाइव सिटीज पटना: विश्व के दूसरे नंबर के अरबपतियों में शामिल रहे भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी का साम्राज्य हिल गया है. वह अब टॉप-20 से भी बाहर हो गए हैं. हिंडनबर्ग अमेरिकी फर्म द्वारा जारी रिपोर्ट के बाद से देश में सियासत गर्म है. वहीं अडाणी के इस मामले को लेकर संसद का बजट प्रभावित हो रहा है. विपक्षी पार्टियों द्वारा अडाणी पर लगे आरोपों पर चर्चा की मांग की जा रही है. वहीं अब इस मामले पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बाद जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने मोदी सरकार से पूछा है कि सबसे बड़े घोटाले पर बहस करने से सरकार क्यों भाग रही है.

गौतम अडानी मामले पर ललन सिंह ने ट्वीट कर लिखा है कि अबतक जो सच्चाई उभरकर सामने आयी है, वह बताती है कि सत्ता का संरक्षण प्राप्त एक कॉरपोरेट घराने ने अबतक का सबसे बड़ा ₹81000 करोड़ का आर्थिक घोटाला करके देश की अर्थव्यवस्था को ध्वस्त तो कर ही दिया साथ ही देश के करोड़ों लोगों ने एलआईसी (जीवन बीमा) में अपने भविष्य की सुरक्षा के लिए जो निवेश किया था, वह भी अंधकारमय हो गया है. हिंडनबर्ग के एक खुलासे से एलआईसी को एक दिन में ₹18000 करोड़ का घाटा हुआ, जो इस देश के आम लोगों का पैसा था. इस मुद्दे पर सरकार संसद में बहस कराने से क्यों भाग रही है?दाल में जरूर कुछ काला है…!

इससे पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने अपनी किशनगंज समाधान यात्रा के दौरान कहा कि अरबपति कारोबारी गौतम अडानी की कंपनी के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोपों पर गौर किया जाना चाहिए. सीएम नीतीश कुमार ने अपनी समाधान यात्रा के दौरान गौतम अडानी को लेकर कहा कि इस मामले की जानकारी है. हां कुछ सुने भी हैं, देख रहे हैं, उनके काम का कुछ खास मतलब नहीं है. अब तो आ ही गया सब कुछ प्रकाश में तो उसे देखना चाहिए.

बता दें कि अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग के द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के बाद अडानी समूह की स्थिति शेयर बाजार में दयनीय हो गई है. उसकी आज सभी लिस्टेड कंपनियों का शेयर गिरता चला जा रहा है. गौतम अडानी विश्व के सबसे अमीर लोगों की सूची में दूसरे से 21वें स्थान पर पहुंच गए है. जदयू सहित विपक्ष अडानी समूह पर हिंडनबर्ग शोध रिपोर्ट की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) या भारत के प्रधान न्यायाधीश की निगरानी में जांच कराने की मांग कर रहा है. विपक्ष ने आरोप लगाया है कि अडानी फर्मों में निवेश किए गए एलआईसी और एसबीआई के सार्वजनिक धन डूबने का खतरा है और सरकार कार्रवाई नहीं कर रही है.

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