HomeBiharपहले आग्रह अब हायतौबा क्यों, आनंद मोहन की रिहाई पर BJP ने...

पहले आग्रह अब हायतौबा क्यों, आनंद मोहन की रिहाई पर BJP ने उठाए सवाल तो नीतीश के मंत्री ने दिया जवाब

लाइव सिटीज पटना: पूर्व सांसद और बाहुबली आनंद मोहन की रिहाई को लेकर बिहार में सियासत तेज है. जेल मैनुअल में बदलाव कर आनंद मोहन की रिहाई होने पर बीजेपी की ओर से सवाल उठाए जा रहे हैं. जिस पर नीतीश सरकार के मंत्री और जेडीयू के दलित नेता अशोक चौधरी ने नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक दलों के लोगों ने आनंद मोहन की रिहाई के लिए आग्रह किया और दावा किया. अब जब सरकार ने इसको कर दिया तो लोग हायतौबा मचा रहे हैं.

आनंद मोहन की रिहाई पर उठ रहे सवाल पर मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि बीजेपी, इस पार्टी के समर्थक और इनसे सहानुभूति रखने वाले लोग एक पर्सेप्शन क्रिएट कर रहे हैं कि जी कृष्णैया एक दलित थे. सीआरपीसी में किसी की भी हत्या एक समान मानी जाती है. हत्या चाहे IAS ऑफिसर की हो, दलित की हो, अपर कास्ट की हो, कोई चपरासी हो या कोई आम नागरिक हो. सीआरपीसी की एक्ट के मुताबिक जेल मैनुअल में संशोधन किया गया है. यानी सीआपीसी में सब बराबर हैं तो जेल मैनुअल में भी सभी बराबर होंगे.

अशोक चौधरी ने कहा कि सीआरपीसी की एक्ट के मुताबिक जेल मैनुअल में संशोधन किया गया है. यानी सीआपीसी में सब बराबर हैं तो जेल मैनुअल में भी सभी बराबर होंगे. उसके तहत इसका प्रावधान किया गया है. बहुत से राज्यों में यह प्रावधान पहले से है. अब क्योंकि इसमें आनंद मोहन छूट गए, राजनीतिक शख्स हैं और राजनीतिक दल से हैं, इसलिए ये लोग हायतौबा मचा रहे हैं. जबकि सभी राजनीतिक दलों के लोगों ने आनंद मोहन की रिहाई के लिए आग्रह किया और दावा किया. अब जब सरकार ने इसको कर दिया तो लोग हायतौबा मचा रहे हैं.

बता दें कि गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैया की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे बिहार के पूर्व सांसद आनंद मोहन सहित राज्य की जेलों में 14 साल से अधिक समय से बंद 27 कैदियों को रिहा किया जाएगा. इस संबंध में सोमवार देर शाम नोटिफिकेशन जारी किया गया. उसके बाद अब रिहाई की प्रक्रिया शुरू हो गई है. 27 अप्रैल को आनंद मोहन पूरी तरह से जेल से मुक्त होकर बाहर आ जाएंगे.

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments