लाइव सिटीज, पटना: उत्तर बिहार में बाढ़ की सदियों पुरानी समस्या और आजादी के बाद सात दशक से जारी उदासीनता के समाधान का मार्ग प्रशस्त करने के लिहाज से एक ऐतिहासिक एवं पथप्रदर्शक फैसले में पटना हाईकोर्ट ने कोसी विकास प्राधिकरण के गठन के साथ ही समयबद्ध तरीके से इस संकट के समाधान के उपायों और संसाधनों की पहचान करने का आदेश दिया है।
बिहार सरकार के जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने इस फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह ऐसा निर्णय है, जो हमारी नदियों के प्रवाह मार्ग को बदल देगा और इस संदर्भ में सात दशक बरती जा रही उदासीनता को हमेशा के लिए ठीक कर देगा।
हाईकोर्ट के फैसले के मुताबिक, कोसी विकास प्राधिकरण, जिसमें बिहार सरकार, भारत सरकार, नेपाल सरकार एवं अन्य हितधारकों के प्रतिनिधि शामिल होंगे, को समयबद्ध तरीके से बाढ़ से संबंधित जटिल मुद्दों को हल करने के लिए काम करना होगा। संजय कुमार झा ने कहा कि उत्तर बिहार में कोसी नदी की बाढ़ से तबाही सदियों से एक बड़ी समस्या बनी हुई है। आजादी के बाद भी, पिछले सात दशकों में इसने जान-माल का भारी नुकसान किया है, बड़ी आबादी के लिए हर साल परेशानियां खड़ी की है और राज्य के खजाने पर भारी दबाव डाला है।
जल संसाधन मंत्री ने कहा कि सात दशक पहले, वर्ष 1950 में ही, सभी ने यह महसूस किया था कि भारत-नेपाल सीमा पर एक हाई डैम की आवश्यकता है, ताकि विनाशकारी बाढ़ के कारण लोगों को होने वाली परेशानियों को कम किया जा सके। लेकिन, राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी व उदासीनता, कूटनीतिक विफलता और प्रशासनिक सुस्ती के कारण इस समस्या का कोई समाधान नहीं हो पाया है।
संजय कुमार झा ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल (जो अब सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हो चुके हैं) की अध्यक्षता वाली पटना उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने अपने फैसले के माध्यम से न केवल लाखों लोगों की आकांक्षाओं को पूरा किया है, बल्कि सभी हितधारकों- बिहार सरकार, भारत सरकार, नेपाल सरकार एवं अन्य एजेंसियों- के लिए एक ठोस फ्रेमवर्क भी प्रदान किया है और कहा है कि बाढ़ से होने वाली तबाही के संकट को समाप्त करने के लिए मिलकर काम करें।
उन्होंने कहा कि पटना हाईकोर्ट का यह फैसला उतना ही ऐतिहासिक है, जितना 2002 में सुप्रीम कोर्ट का नदियों को आपस में जोड़ने का फैसला, जिसने बार-बार आने वाली बाढ़ और सूखे की समस्या के समाधान के लिए मार्ग प्रशस्त किया। तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने नदियों को आपस में जोड़ने पर काम शुरू करने के लिए एक टास्क फोर्स के गठन का आदेश दिया था। इसके बाद, 2012 में सर्वोच्च न्यायालय के तीन न्यायाधीशों की खंडपीठ द्वारा दिए गए आदेश के आलोक में नदियों को आपस में जोड़ने के कार्य को राष्ट्रीय एजेंडे पर लाया गया और NWDA को इसका कार्य सौंपा गया।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब केंद्र में रेल मंत्री थे, तब उन्होंने बिहार के सांसदों के साथ कोसी नदी की बाढ़ से सुरक्षा के लिए हाई डैम के निर्माण के मुद्दे को तत्कालीन प्रधानमंत्री वाजपेयी जी के समक्ष उठाया था। तब इस दिशा में कुछ कार्रवाई हुई और डीपीआर बनाने के लिए विराटनगर (नेपाल) में एक कार्यालय की स्थापना की गई। लेकिन, बाद के वर्षों में, आगे कोई प्रगति नहीं हुई, जबकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नेपाल की सरकार, राजनेताओं और नागरिक समूहों के बीच कई बार इस मुद्दे को उठाया।
बाढ़ की समस्या के समाधान की दिशा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के संकल्प और प्रयासों की सराहना करते हुए संजय कुमार झा ने कहा कि पटना उच्च न्यायालय का हालिया निर्णय इस दिशा में मील का पत्थर की तरह है, क्योंकि इसने कोसी नदी के संदर्भ में भारत-नेपाल संधि को एक दिशा और समयबद्ध कार्ययोजना प्रदान किया है। यह फैसला उत्तर बिहार के लोगों के हित में केंद्र-राज्य और भारत-नेपाल सहयोग तथा संयुक्त प्रयास को सुनिश्चित करेगा।
पटना हाईकोर्ट ने राज्य के संसाधनों को निरंतर हो रहे नुकसान को ध्यान में रखते हुए एक फंडिंग फॉर्मूला तैयार करने के लिए भी कहा है। वित्त पोषण के संबंध में, केंद्र सरकार ने 60% केंद्रीय अनुदान, 30% केंद्रीय ऋण और 10% राज्य की हिस्सेदारी का सुझाव दिया है, जिसका विवरण पटना उच्च न्यायालय में रिकॉर्ड में रखा गया है। कोर्ट ने निर्देश दिया कि इस फंडिंग फार्मूला को केंद्र सरकार के साथ मिलकर अंतिम रूप दिया जाए, ताकि भविष्य की गतिविधियों को सुव्यवस्थित किया जा सके।
न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि फंडिंग के मुद्दे को हल करने के बाद, कोसी और मेची नदी को जोड़ने के लिए समयबद्ध तरीके से कदम उठाए जा सकते हैं और परियोजना को लागू करने के लिए आवश्यक अनुवर्ती कार्रवाई की पहचान की जा सकती है।
संजय कुमार झा ने कहा कि पटना हाईकोर्ट का फैसला प्रभावी होने पर कोसी नदी की 2008 जैसी विनाशकारी बाढ़ इतिहास की बात हो जाएगी, जिसने एक बड़े इलाके को बर्बाद कर दिया था, सैकड़ों लोगों की जान ले ली थी और बड़ी आबादी की आजीविका छीन ली थी। उन्होंने कहा कि यह फैसला कोसी नदी के किनारे बसी बड़ी आबादी के मन से बाढ़ का डर हमेशा के लिए समाप्त करने का मार्ग प्रशस्त करेगा।