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तीसरे दिन करें मां चंद्रघंटा की पूजा, इस विधि व नियम के बिना व्रत का नहीं मिलेगा फल

लाइव सिटीज, पटना: शारदीय नवरात्रि के नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा करने का विधान है. मां दुर्गा की तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघंटा है. मां चंद्रघंटा का स्वरूप परम शान्तिदायक और कल्याणकारी है. नवरात्रि के तीसरे दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की आराधना की जाती है. आज का दिन भय से मुक्ति और अपार साहस प्राप्त करने का होता है. नवरात्रि के नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग नौ स्वरुपों की पूजा करने का विधान है.

माता चंद्रघंटा का स्वरूप परम शांति दायक और कल्याणकारी होता है. बाघ पर सवार मां चंद्रघंटा के शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला होता है और माता के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र विराजमान होता है. आचार्य रामाशंकर दुबे ने बताया कि मां चंद्रघंटा ने राक्षसों के संहार के लिए अवतार लिया था. इनमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवों की शक्तियां समाहित हैं. ये अपने हाथों में तलवार, त्रिशूल, धनुष और गदा धारण करती हैं. इनके माथे पर घंटे के आकार में अर्द्ध चंद्र विराजमान है, इसलिए ये चंद्रघंटा कहलाती हैं. भक्तों के लिए माता का ये स्वरूप सौम्य और शांत है.

नवरात्रि के तीसरे दिन माता दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की​ विधि विधान से इस मंत्र ‘ऊं देवी चन्द्रघण्टायै नमः’ का जाप कर आराधना करनी चाहिए. इसके बाद मां चंद्रघंटा को सिंदूर, अक्षत्, गंध, धूप, पुष्प आदि अर्पित करें. देवी मां को चमेली का पुष्प या कोई भी लाल फूल अर्पित कर सकते हैं. साथ ही साथ, दूध से बनी किसी मिठाई का भोग लगाएं. पूजा के दौरान दुर्गा चालीसा का पाठ और दुर्गा आरती का गान करें.

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