लाइव सिटीज, पटना: अधिक समय तक बने रहने वाला डायबिटीज मधुमेह शरीर के दूसरे अंगों को भी प्रभावित करता है और यह प्रभावित अंग आपकी आंखें भी हो सकती हैं. डायबिटीज के मरीजों में अगर शुगर की मात्रा नियंत्रित नहीं रहती तो वह डायबिटिक रेटिनोपैथी के शिकार हो सकते है. विश्व मधुमेह दिवस के अवसर पर संजीवनी आई हॉस्पिटल में नि:शुलक डायबिटिज डिइडश्कहन एवं रेटिनोपैथी स्क्रीकनिंग कैम्प का आयोजन किया गया.
इस मैके पर 42 लोगों की मधुमेह की जांच की गइ। जिसमें 14 लोगों में मधुमेह पाया गया. उसमें से 4 मरीज को डायबिटिक रेटिनोपैथी भी पाया गया. उपरोक्त बातें सोमवार को विश्व मधुमेह दिवस के अवसर पर संजीवनी आई हॉस्पिटल एंड रिसर्च इंस्टीटयूट किदवईपुरी पटना में आयोजित कायक्रम में प्रख्यात नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. सुनील कुमार सिंह ने कहीं. डॉ. सुनील कुमार सिंह ने कहा कि इस समस्या का पता तब चलता है जब डायबिटिक रेटिनेपैथी बीमारी गंभीर रूप ले लेती है. याद रखे की आंख सही हे तो जहां हमारा है, अन्यथा सब दूर अँधेरा है.
डॉ. सिंह ने कहा कि डायविटीक रेटीनोपैथी की तीन प्रमुख प्रभवी चिकित्सा है. टाइप वन मधुमेह के मरीज जो इंसुलिन पर निर्भर हैं, वे मधुमेह होने के पहले साल बाद तथा टाईप टू मधुमेह के मरीज पहले साल से ही रेटिना की जांच कराते रहें. रेटिनोपैथी के मरीज हरेक तीन महीने के अंतराल पर आंखों की जांच जरूर कराते रहें. डॉ. सुनील बताते हैं कि डायबीटिक रेटिनोपैथी के इलाज के लिए लेजर सर्जरी, आंख के अंदर कॉटिकोस्टेरॉयड या एंटी वीइजीएफ की सूई लगानी पड़ती है. उन्होंने बताया की डायबिटीक रेटिनोपैथी के शुरुआती चरण में रेटिना के अंदर रक्ता की आपूर्ति करने वाली छोटी छोटी रक्तत नलिकाओं की दीवारें जगह जगह से बैलून की तरह फूलकर सूज जाती हैं. जिसे माइक्रोएनयूरिजम कहते हैं .