लाइव सिटीज, पटना: बिहार सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। छह महीने जेल में रहने वाले व्यक्तियों को पंचायत त्रिस्तरीय चुनाव से वंचित कर दिया है। मुखिया, सरपंच समेत अन्य पदों के चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगा दी गई है। 6 माह से अधिक कारावास की सजा पाने वाला व्यक्ति मुखिया सहित प्रतिनिधि का चुनाव नहीं लड़ सकेंगे।
इस संबंध में पंचायती राज विभाग ने पत्र लिखा है। विभाग के अपर मुख्य सचिव मिहिर कुमार सिंह ने गुरुवार को जहानाबाद डीएम को पत्र भेजा है। जहानाबाद के डीएम ने न्यायालय द्वारा सजायाफ्ता व्यक्ति के वार्ड सचिव का चुनाव लड़ने के संबंध में पंचायती राज विभाग से मार्गदर्शन मांगा था।
अपर मुख्य सचिव मिहिर सिन्हा ने पत्र में लिखा है कि 6 माह से अधिक कारावास से दंडित कोई व्यक्ति चाहे वह पंचायत प्रतिनिधि का चुनाव लड़ना चाहता हो या ग्राम पंचायत के तहत स्थित किसी वार्ड के वार्ड सचिव का चुनाव नहीं लड़ेगा। लोक जीवन में शुद्धता बनाये रखने के उद्देश्य से ऐसे व्यक्ति को ताउम्र पंचायत के तहत कोई चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
पंचायती राज विभाग ने पत्र में आगे लिखा है कि चूंकि वार्ड सचिव निर्वाचित वार्ड सदस्य के साथ और उसके अधीन काम करता है और वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति का पदेन सचिव होने के नाते राशि की निकासी में वार्ड सदस्य के साथ संयुक्त हस्ताक्षर भी होता है। इसलिए सजायाफ्ता व्यक्ति को वार्ड सचिव के रूप में चुनाव लड़ने की योग्यता प्राप्त नहीं है।
6 माह से अधिक या आपराधिक प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 109 या धारा 110 के तहत अच्छे व्यवहार के लिए सुरक्षा प्रदान करने का आदेश दिया गया है, तो उन्हें चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य ठहराया जाएगा।