लाइव सिटीज पटना: बिहार के पूर्व बाहुबली सांसद आनंद मोहन की रिहाई पर घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है. अब पूर्व सांसद की मुश्किलें और बढ़ने वाली है. इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट 8 मई को सुनवाई करेगा. दरअसल आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ आईएएस अधिकारी जी कृष्णैया की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. जिसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई की तारीख तय कर दी है. इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 8 मई को सुनवाई की तारीख तय किया है.
दरअसल आनंद मोहन आईएएस अधिकारी जी कृष्णैया की हत्या में उम्रकैद की सजा काट रहे थे. बिहार की नीतीश सरकार ने कारा अधिनियम में बदलाव करके आनंद मोहन समेत 26 कैदियों को रिहा कर दिया. आनंद मोहन की रिहाई के बाद से आईएएस अधिकारी जी कृष्णैया का परिवार लगातार नीतीश सरकार के इस फैसले पर विरोध जता रहा है. आनंद मोहन की रिहाई को जी कृष्णैया की बेटी ने दुखद बताया था. उन्होंने कहा था कि यह हमारे लिए ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए अन्याय है.
जी. कृष्णैया की पत्नी उमा ने सुप्रीम कोर्ट में आनंद मोहन की रिहाई की खिलाफ याचिका दायर कर दी है. उन्होंने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि उनके पति के हत्यारे को जेल से रिहाई करने के बिहार सरकार के फैसले को रद्द कर दिया जाए. इस याचिका में यह कहा गया था कि जब भी किसी को आजीवन कारावास की सजा होती है तो उसका मतलब यह होता है कि अब वो पूरी जिंदगी जेल में ही रहेगा ना की 14 साल की सजा काटकर बाहर आ जाएगा. इसके बाद अब इस याचिका पर सुनवाई को सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है. इस मामले में सुनवाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 8 मई की तारीख तय किया है.
बता दें कि जी कृष्णैया की हत्या के मामले में आनंद मोहन को सजा हुई थी. 1994 के कलेक्टर हत्याकांड में आनंद मोहन को 2007 में फांसी की सजा सुनाई गई. 2008 में हाईकोर्ट ने फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था. अब उम्रकैद की सजा काट रहे आनंद मोहन को बिहार सरकार कारा अधिनियम में बदलाव करके जेल से रिहा कर दिया. 14 साल की सजा काट चुके आनंद मोहन की तय नियमों की वजह से रिहाई संभव नहीं थी. इसलिए ड्यूटी करते सरकारी सेवक की हत्या अब अपवाद की श्रेणी से हटा दिया गया है. बीते 10 अप्रैल को ही बदलाव की अधिसूचना सरकार ने जारी कर दी थी.