लाइव सिटीज पटना: कांग्रेस कमेटी की ओर से बिहार के 39 जिला अध्यक्षों की सूची जारी की गई है, लेकिन इसमें 66 प्रतिशत यानी कुल 26 जिला अध्यक्ष सवर्ण हैं. इस सूची को लेकर बिहार की राजनीति में जाति पर एक बार फिर चर्चा तेज हो गई है. वहीं इस लिस्ट को लेकर बिहार कांग्रेस में भी घमासान देखने को मिल रहा है. कांग्रेस के दलित समाज से आने वाले बड़े नेता का मानना है कि इसमें अभी परिवर्तन होगा, हालांकि कुछ बड़े नेता कैमरे पर ना आते हुए यह भी कहा कि यह निर्णय पूरी तरह गलत है.
दलित समाज से आने वाले बिहार में 26 साल से लगातार विधायक और दो बार मंत्री रह चुके डॉ. अशोक राम ने कहा कि अभी यह इस निर्णय पर कुछ भी बोलना जल्दीबाजी होगी. इसमें अभी और लोग जुड़ सकते हैं और कई लोगों को निकाला भी जा सकता है. वहीं वर्तमान कांग्रेस के दलित समाज से आने वाले एमएलए प्रतिमा दास ने कैमरे पर कुछ न कहते हुए उन्होंने बताया कि पार्टी का यह निर्णय बिल्कुल गलत है. इसे प्रदेश अध्यक्ष ने अपने तरीके से किया है, अपने समाज के लोगों को ज्यादा जिलाध्यक्ष बनाया है, इसका खामियाजा 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को उठाना पड़ सकता है.
वहीं कांग्रेस के जिला अध्यक्षों की सूची के मामले पर बीजेपी ने भी कांग्रेस को वोट कटवा बताया है. बीजेपी के वरिष्ठ नेता और नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि बिहार में कांग्रेस तो जेडीयू और आरजेडी के एजेंडा पर चल रहे हैं और आरजेडी-जेडीयू से जो डायरेक्शन मिलता है उसी के हिसाब से वोट कटवा के रूप में बिहार में कांग्रेस को इस्तेमाल किया जाता है. विजय सिन्हा ने कहा कि कांग्रेस को किसी भी जाति से सहानुभूति नहीं है. सत्ता के लिए समझौता किसी के साथ भी कांग्रेस कर सकती है और किसी को बाहर कर सकती है.
वहीं कांग्रेस के समर्थन में आरजेडी ने कहा कि सवर्ण का वोट तो कांग्रेस का पुराना रहा है. आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि सवर्ण पुराने कांग्रेसी रहे हैं, बीजेपी तो बाद में आई है और सवर्ण के वोट पर सेंधमारी की है, लेकिन अब पुराने कांग्रेसी लौट रहे हैं. कांग्रेस संगठन मजबूती के लिए जो निर्णय लिया है बिल्कुल सही है. संगठन मजबूत होगा और पुराने लोग का फिर से वापस आ जाएंगे.
बता दें कि कांग्रेस कमेटी की ओर से बिहार के 39 जिला अध्यक्षों की सूची जारी की गई है, लेकिन चौंकाने वाली बात है कि इसमें 66 प्रतिशत यानी कुल 26 जिला अध्यक्ष सवर्ण हैं. इसमें सबसे अधिक भूमिहार जाति के 11, ब्राह्मण 8, राजपूत 6 और कायस्थ से 1 जिला अध्यक्ष बनाया गया है. जबकि मुस्लिम से 5, यादव 4, दलित 3 और कुशवाहा जाति से 1 जिला अध्यक्ष को चयन किया गया है. नए जिलाध्यक्षों की सूची से तो यह साफ है कि कांग्रेस पार्टी बीजेपी के सवर्ण वोट बैंक में सेंधमारी के प्रयास में जुटी हुई है. ऐसा माना जाता है कि सवर्ण के वोट अधिकांश बीजेपी में जाते हैं, जो कभी कांग्रेस का जनाधार था. अब कांग्रेस उसे फिर अपने पाले लाने की प्रयास कर रही है.