लाइव सिटीज पटना: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण को लेकर केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच विवाद पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों की तैनाती और तबादले का अधिकार दिल्ली सरकार को होना चाहिए. यानी उपराज्यपाल नहीं मुख्यमंत्री ही दिल्ली का असली बॉस होगा. इस निर्णय के बाद आम आदमी पार्टी का कहना है कि केंद्र सरकार और भाजपा, चुनी हुई सरकारों को असंवैधानिक तरीके से हड़पने की मुहिम चला रही थी लेकिन उस पर सुप्रीम कोर्ट ने करारा तमाचा जड़ा है. वहीं सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का जेडीयू राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने स्वागत किया है. उन्होंने केंद्र सरकार पर करारा हमला बोला है.
जेडीयू राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने अपने सोशल मीडिया के आधिकारिक अकाउंट पर पोस्ट साझा कर कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार दिल्ली में लोकतंत्र समाप्त करना चाहती थी. राजनीति से प्रेरित लेफ्टिनेंट गवर्नर के फैसलों के ज़रिए भाजपा दिल्ली की जनमत से चुनी हुई सरकार पर हुकुमुत कर लोकतंत्र का गला घोंटने पर आमदा थी. इसके विरूद्ध आज माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसलें को, देश की आम जनता की तरफ़ से इस फ़ैसले का जनता दल (यूनाइटेड) हार्दिक स्वागत करता है. वैसे भाजपाईयों के लोकतंत्र विरोधी कारनामों को देश की 143 करोड़ जनता बड़े संवेदनशीलता के साथ देख रही है, 2024 में इन्हें सबक सिखाना और भाजपा मुक्त भारत होना तय है…!’
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण को लेकर केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच विवाद पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया. प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ द्वारा यह फैसला सुनाया गया. कोर्ट ने बहुमत से यह फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों की तैनाती और तबादले का अधिकार दिल्ली सरकार को होना चाहिए. यानी उपराज्यपाल नहीं मुख्यमंत्री ही दिल्ली का असली बॉस होगा. कोर्ट ने कहा सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस और भूमि जैसे विषयों के अलावा सेवाओं पर दिल्ली सरकार का नियंत्रण है.