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रामविलास पासवान के भाई नहीं नीतीश कुमार के एजेंट हैं पशुपति पारस, चिराग के साथी का बड़ा दावा

लाइव सिटीज पटना: चिराग पासवान के करीबी सौरभ पांडेय ने केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा है कि पशुपति पारस राम विलास पासवान के भाई नहीं बल्कि नीतीश कुमार के एजेंट हैं. दरअसल हाल में केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने चिराग पासवान के साथी सौरभ पांडेय पर निशाना साधा था और कहा था कि सौरभ के कारण चिराग ने अकेले चुनाव लड़ने का फ़ैसला लिया था. जिस पर बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट के मॉडल को बनाने वाले सौरभ पांडेय ने अब पहली बार पारस पर पलटवार किया है.

सौरभ पांडेय ने कहा कि वर्तमान केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस अपनी राजनीतिक हैसियत बनाए रखने के लिए मुझ पर और चिराग पासवान पर कुछ ना कुछ टिप्पणी करते रहते हैं.
उन्होंने कहा कि पारस जी को नीतीश कुमार से नज़दीकी के कारण प्रदेश अध्यक्ष से स्वर्गीय राम विलास पासवान जी ने हटाया था. 2015 के चुनाव में पारस जी ने नीतीश कुमार के कहने पर टिकट बांटा था. जिससे एनडीए को नुक़सान व लोजपा को मात्र 2 सीट मिली थी. इसके कारण हमेशा पासवान जी पारस से दुखी रहते थे.

सौरभ पांडेय ने कहा कि 2010 की तरह ही 2015 में सभी सीटें नीतीश जी के कहने से पारस जी ने उनके दलों के प्रत्याशियों को लाभ करवाने के लिए बेची थी. जिसके बाद पासवान जी ने इनको प्रदेश के टिकट वितरण से हटाने का मन बना लिया था और बाद में जब बिहार फर्स्ट की तैयारी शुरू हुई उसके पहले इनको प्रदेश अध्यक्ष से हटा दिया गया. जिस पर पारस जी राम विलास पासवान जी में बात होना कई महीनों तक बंद हो गई और 12 जनपथ पर आना छोड़ दिया था.

सौरभ पांडेय ने बड़ा दावा करते हुए कहा कि यही सेटिंग नीतीश कुमार जी से पारस जी ने 2010 में भी किया था. जब पार्टी आरजेडी गठबंधन में 75 सीटों पर लड़कर मात्र 3 सीट मिली. पारस जी पूरी ज़िंदगी नीतीश कुमार के एजेंट के रूप में रहे है और पार्टी को नुक़सान और भाई को धोखा दिया है. बिहार में पार्टी का टिकट पूर्व में बिकता रहा है यह सामान्य रूप से सभी बिहारवासिओं में चर्चा रही है. जिससे ना सिर्फ़ पासवान जी चिंतित रहते थे बल्कि चिराग भी विचलित रहें हैं.

उन्होंने कहा कि बिहार विधान सभा 2020 से पूर्व बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट का विरोध पारस जी नीतीश जी के इशारे पर चिराग का विरोध करते थे. जिससे स्वर्गीय राम विलास पासवान जी पारस से इस कदर नाराज़ थे कि वह पारस को पार्टी से जुलाई-अगस्त महीने में निकालना चाहते थे. लेकिन चिराग जी के माता जी के कारण वह ऐसा नहीं कर सके. उनकी माता जी बीच बचाव कर मामले को संभाला. पासवान जी के ग़ुस्से को देखते हुए पारस जी ने इसके बाद पासवान जी से जाकर अस्पताल में माफ़ी मांगी थी. जहां पासवान जी के सबसे ख़ास योगेन्द्र पासवान जी थे.

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