लाइव सिटीज पटना: बिहार में जातीय गणना पर पटना हाईकोर्ट के रोक के बाद राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. इसको लेकर बिहार सरकार में मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि अभी अंतरिम रोक लगी है. यह पूरी तरह से रोक नहीं है. इस पर बैठके हो रही है और कोई न कोई रास्ता इस पर सरकार जरूर निकालेगी. वहीं अशोक चौधरी ने बीजेपी पर हमला करते हुए कहा कि जो साजिश कर रहे हैं उनकी साजिश नाकाम होगी.
दरअसल जेडीयू के मंत्री अशोक चौधरी शुक्रवार को पार्टी कार्यालय में आयोजित जनसुनवाई कार्यक्रम में पहुंचे थे. इस अवसर पर जातीय गणना पर रोक पर उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि अभी इस पर पूरी तरह से रोक नहीं लगी है. सरकार हाईकोर्ट के आदेश को समझ रही है. कोर्ट में अपने पक्ष को मजबूती से रखेगी.
जातीय जनगणना पर अशोक चौधरी ने कहा कि कोर्ट की ओर से अभी अंतरिम रोक लगाई गई है, पूरी तरह से रोक नहीं है. हमारे नेता को ज्ञानी जैल सिंह ने उनको बुलाकर यह बात कही थी कि जातीय जनगणना होनी चाहिए, लेकिन उस समय संभव नहीं था. उसके बाद से ही प्रयास में थे. सभी नेताओं से बात की. प्रधानमंत्री से भी आग्रह किया था, लेकिन बीजेपी की नीयत उस समय भी साफ नहीं थी और अब भी साफ नहीं है. अभी भी उनके बयान से झलक रहा है.
अशोक चौधरी ने कहा कि जो बड़ी आबादी इस देश में रहती है, आर्थिक रूप से जो पिछड़ गए हैं, बंटवारे से आर्थिक स्थिति खराब हो गई है, उनके लिए जनगणना जरूरी है. इसको देखते हुए सरकार ने काम शुरू किया था. राज्य की एक बड़ी आबादी जातीय गणना के पक्ष में है. इससे बीजेपी परेशान है. उन्होंने बताया कि हम लोग पूरी मजबूती के साथ हाई कोर्ट में अपना पक्ष रखेंगे. जो साजिश कर रहे हैं उनकी साजिश नाकाम होगी.
बता दें कि बिहार में जातीय गणना पर हाईकोर्ट के रोक के बाद राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. पटना हाईकोर्ट के फैसले पर बीजेपी और सत्ता पक्ष के लोग आमने-सामने हैं. एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. जहां बीजेपी कह रही है कि सरकार ने मजबूती से कोर्ट में पक्ष नहीं रखा. वहीं सत्तापक्ष पूरे मामले में बीजेपी पर निशाना साध रही है और उसे ही जिम्मेवार बता रही है. ऐसे पटना हाईकोर्ट का यह अंतिम फैसला नहीं है. अब देखना है 3 जुलाई को क्या कुछ फैसला आता है. वहीं इस बीच बिहार में जातिगत गणना पर पटना हाईकोर्ट के रोक के फैसले के बाद अब राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में रिव्यू पिटीशन डाला है. जिसमें कोर्ट से यह निवेदन किया गया है कि इस मामले में जल्द से जल्द सुनवाई की जाए.