लाइव सिटीज, जहानाबाद: जिले के व्यवहार न्यायालय में शनिवार को आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में डिस्ट्रिक्ट जज की दरियादिली देखने को मिली. यहां एक बुजुर्ग कर्ज को लेकर सुनवाई के लिए पहुंचे थे. उनको 18 हजार 600 रुपये कर्ज के देने थे, लेकिन उनके पास केवल पांच हजार थे. वह फफक-फफक कर रोने लग गए. इसके बाद किसी दूसरे व्यक्ति ने बुजुर्ग को तीन हजार दिए तो आठ हो गए. बाकी के पैसे जिला जज राकेश कुमार सिंह ने माफ कर दिए और बुजुर्ग को कर्ज से मुक्त करा दिया. जज की इस सराहनीय कदम की सब तारीफ कर रहे.
सदर प्रखंड क्षेत्र के आदमपुर गांव के एक बुजुर्ग ब्राह्मण राजेन्द्र तिवारी ने कुछ साल पहले बैंक से कर्ज लिया था. वह कर्ज लौटा नहीं सके थे. इसके बाद बैंक द्वारा बार-बार नोटिस भेजा जा रहा था और शनिवार को नोटिस के जरिए राष्ट्रीय लोक अदालत में शामिल होने का निर्देश दिया गया था. राष्ट्रीय लोक अदालत में बुजुर्ग जैसे ही ऋण समझौता के लिए पहुंचा तो बैंक द्वारा उसे 18 हजार 600 की डिमांड की गई. बुजुर्ग ने कहा कि मैं बेटी के शादी के बाद काफी कर्ज में डूबा हुआ हूं. मेरे पास मात्र पांच हजार रुपये ही हैं और यह कह कर बुजुर्ग ब्राह्मण फफक-फफक कर रो पड़ा. इसके बाद साथ आए एक युवक ने उन्हें तीन हज़ार दिए.
इधर, जैसे ही जिला जज राकेश कुमार सिंह ने बुजुर्ग की बातें सुनी तो उनको बुजुर्ग पर दया आ गई. बुजुर्ग ने बताया कि बैंक के 18 हजार रुपये कर्ज था, लेकिन उसके पास मात्र पांच हजार रुपये ही थे. साथ में आए एक युवक ने उन्हें तीन हजार रुपये दिए. इसके बाद जिला जज ने उसके शेष रुपये माफ कर बैंक से कर्ज मुक्त कराया. इसके लिए बुजुर्ग ने जिला जज का आभार व्यक्त किया. न्यायपालिका लोगों को न्याय दिलाने के लिए जाना जाता है, लेकिन जिस तरह से जज ने दरियादिली दिखाई है वह चर्चा का विषय है.