लाइव सिटीज, गोपालगंज: चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर जन सुराज पदयात्रा के दौरान गोपालगंज में यात्रा की शुरुआत कर दी है। इस दौरान उन्होंने नीतीश कुमार पर हमला करते हुए कहा कि नीतीश कुमार मार्च 2022 में मुझसे दिल्ली में मिले थे और उनसे लंबी बातचीत हुई थी। नीतीश कुमार महागठबंधन में इसलिए शामिल हुए हैं क्योंकि उन्हें कहीं न कहीं डर और विश्वास दोनों था कि 2024 में लोकसभा का चुनाव हो जाएगा और भाजपा जीत कर आएगी।
प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि अगर भाजपा जीत कर आती है तो दिल्ली में शपथ लेने के बाद सबसे पहले बिहार के मुख्यमंत्री को बदलेगी। क्योंकि अगला चुनाव बीजेपी नीतीश कुमार के नेतृत्व में नहीं लड़ती। इसी डर के कारण नीतीश कुमार महागठबंधन के साथ चले गए। उन्हें RJD से कोई प्रेम नहीं है और ये भी नहीं है की RJD नीतीश कुमार को जानती नहीं है। जहां तक भाजपा का सवाल है तो नीतीश कुमार हर मायने में दिल्ली में बीजेपी के साथ है। नीतीश कुमार का भाजपा में जाने का रास्ता खुला रहे इस कारण से नीतीश कुमार ने हरिवंश नारायण को राज्यसभा का उपसभापति बना कर एक खिड़की खोल रखी है
RJD और JDU पर तंज कसते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि इन दोनों पार्टियों का जन्म ही एक दूसरे का विरोध करने के लिए हुआ है। विचारधारा के आधार पर, व्यवहार के आधार पर, कार्यक्रमों के आधार पर इनके विचारों का न मिलना स्वभाविक है। सवाल यह होना चाहिए की इतने विरोधाभास के बावजूद ये दोनों दल कितने दिन तक साथ में बने रहते हैं? 2015 से मुझे पता है कि इनके बीच कितनी खींचतान और परेशानियां हैं। इनके नेता कहते रहेंगे की हम भाई-भाई हैं।
हमारे बीच कोई गिले-शिकवे नहीं है। पर ये वही भाई-भाई है जो गले भी मिलते हैं और पेट और पीठ में छुरा भी घोपते हैं। जिस दिन यह मौजूदा महागठबंधन बना था, मैंने उस दिन कहा था कि अगला विधानसभा चुनाव आज की गठबंधन व्यवस्था में नहीं होगा। 7 दलों के महागठबंधन के साथ सरकार चलाना अलग बात है और 7 दलों के महागठबंधन के साथ चुनाव लड़ना अलग बात है। चुनाव से पहले इनका अलग होना तय है।