लाइव सिटीज, पटना: राजस्व अधिकारियों के वार्षिक कार्य मूल्यांकन यानि सी0आर0 में जिला पदाधिकारियों को विभाग द्वारा तैयार POP को ध्यान में रखना होगा। इसमें अंचल अधिकारी से लेकर डीसीएलआर और अपर समाहर्ता सभी शामिल होंगे। विभाग द्वारा हरेक महीने सभी अधिकारियों द्वारा किए जा रहे कार्यों के आधार पर रैंकिंग जारी की जाती है।
अच्छा परफार्मेंस वाले जिले को विभाग द्वारा सम्मानित भी किया जाता है। पीओपी यानि परफॉरमेंस ऑन आब्जेक्टिव पारामीटर्स में राजस्व से संबंधित कार्यों को उनके महत्व के आधार पर अंक दिए जाते हैं और फिर उसके आधार पर अधिकारियों की रैंकिंग की जाती है।
जून माह के अपर समाहर्ताओं की रैंकिंग में बांका प्रथम, सुपौल दूसरे और पूर्णिया तीसरे स्थान पर है। अपर समाहर्ताओं की रैंकिंग में उनके द्वारा किए जा रहे राजस्व के विभिन्न कार्यों को उनके महत्व के हिसाब से अंक दिया गया है।
कुल 100 अंक में सबसे अधिक 20 अंक दाखिल-खारिज के पर्यवेक्षण पर दिया जाता है। उसके बाद जमाबंदी निरस्त्रीकरण, भूमि की बंदोबस्ती और म्युटेषन रिवीजन में 10-10 अंक निर्धारित है। बांका जिला ने 100 में 68.02 अंक हासिल कर प्रथम स्थान हासिल किया है। अपर मुख्य सचिव ने बैठक में सभी अपर समाहर्ताओं से सप्ताह में कम से कम 2 दिन कोर्ट करने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि अपील की समय से सुनवाई नहीं होने से लोगों में असंतोष होता है।
ऐसा उन्होंने 14 जिलों के अपर समाहर्ताओं द्वारा पिछले माह में 1 भी दिन म्युटेषन रिवीजन का कोर्ट नहीं करने से नाराज होकर दिया। पिछले माह में मात्र 9 जिलों के अपर समाहर्ताओं द्वारा 10 या उससे अधिक दिन कोर्ट में बैठककर दाखिल खारिज पुनरीक्षण के मामलों की सुनवाई की है। भूमि सुधार उप समाहर्ताओं के फैसले से व्यथित रैयत अपर समाहर्ता की अदालत में पुनरीक्षण वाद दायर करता है। यह प्रक्रिया भी ऑनलाइन कर दी गई है। और 30 दिनों के भीतर इसका निपटारा किया जाना है।
म्युटेषन रिवीजन के सबसे अधिक 43 मामलों की सुनवाई सारण जिला के अपर समाहर्ता द्वारा की गई है।
इसके बाद पटना जिला का स्थान है जिसने पिछले 1 माह में 42 मामलों की सुनवाई की है। बक्सर, अरवल, बेगूसराय, पूर्वी चंपारण समेत 14 जिले ऐसे रहे जहां पिछले एक माह में एक भी मामले में सुनवाई वहां के अपर समाहर्ता द्वारा नहीं की गई है। कई अपर समाहर्ताओं की शिकायत थी कि उनके द्वारा सुनवाई तो की गई है लेकिन कंप्यूटर ऑपरेटर द्वारा उसे अपलोड नहीं किया गया है। अपर मुख्य सचिव ने कई और मामलों में एडीएम द्वारा किए गए कार्यों को कंप्यूटर द्वारा अपलोड नहीं किए जाने के कारण विभाग के आई0टी0 प्रबंधक को निदेष दिया कि आगामी 27 जुलाई को सभी कंप्यूटर ऑपरेटर को प्रषिक्षित करने का एकदिवसीय कार्यक्रम विभाग में आयोजित करें।
इसी तरह जमाबंदी निरस्त्रीकरण की समीक्षा में पाया गया कि बक्सर, बांका, कैमूर, सहरसा, कैमूर, मधुबनी, समस्तीपुर, कटिहार, नालंदा, वैषाली समेत कई जिलों में पिछले एक माह में एक भी जमाबंदी को निरस्त्र नहीं किया गया है। जबकि पूरे बिहार में जमाबंदी रद्दीकरण के मामलों की कुल संख्या 5470 है। कुछ जिलों जैसे पूर्वी चंपारण में 63 मामलों, सुपौल में 42 और औरंगाबाद में 23 मामलों का निष्पादन किया गया है। जमाबंदी निरस्त्रीकरण के मामलों मंे भी अपर समाहर्ताओं के लिए 100 में 10 अंक निर्धारित हैं।
आज की बैठक मंे सर्वे निदेषालय द्वारा तैयार वार्षिक प्रगति प्रतिवेदन का विमोचन अपर मुख्य सचिव द्वारा किया गया। इस पुस्तिका का प्रकाषन हरेक साल निदेषालय द्वारा किया गया जाता है जिसमें पिछले एक साल में निदेषालय की हरेक गतिविधि और सर्वे के कार्य में प्रगति का ब्यौरा प्रस्तुत किया जाता हैं। आज की बैठक में बिहार प्रषासनिक सेवा के सेवा निवृत्त ए0डी0एम0 राधा मोहन प्रसाद द्वारा लिखित पुस्तक अमीन मार्गदर्षिका का भी विमोचन किया गया। अपर मुख्य सचिव ने कहा कि अबतक अमीन के लिए अलग से कोई पुस्तक उपलब्ध नहीं थी. उन्होंने उम्मीद जतायी कि ये पुस्तक अमीनों के साथ-साथ आम लोगों के लिए भी उपयोगी होगी. ।