बिहार में कृषि विभाग द्वारा जमीन का डिजिटल सर्वे (Digital survey) किया जा रहा है. इसके लिए बिहार के प्रत्येक गांव में तीन से चार किसान सलाहकार और कृषि समन्वयकों की टीम का गठन हुआ है. आपको बता दें कि गठित टीम के सदस्यों को हर गांव के प्रत्येक खेतों तक तक जाना है. इसके लिए विभाग के वेबसाइट पर संबंधित खेतों का लोकेशन डाला जाता है.
क्यों हो रहा है सर्वे
आपका खेत बंजर है या फसल उग रही है. आपके खेतों में कौन सी फसल उगती है उसमें सिंचाई का साधन क्या है? बगीचा आदि की जानकारी विभागीय वेबसाइट पर भेजी जानी है. इससे भविष्य में किसानों के लिए बेहतर साबित हो सकता है. कृषी विभाग के साइट पर लोकेशन डालते ही खेत के मालीक का नाम आ जाता है.उसके बाद खेतों की वर्तमान स्थिति के साथ वेबसाइट पर तस्वीर जारी की जाती है.
केंद्र सरकार के निर्देश पर डिजिटल सर्वे
जागरण डिजिटल की खबर के अनुसार, कृषी विभाग के अधिकारी संजय कुमार ने बताया कि केंद्र सरकार के निर्देश पर ही डिजिटल सर्वे कराया जा रहा है. जिसकी मॉनीटरिंग जिला कृषि पदाधिकारी कर रहे हैं सर्वे में किसान सलाहकार और कृषि समन्वयकों को भी लगाया गया है. डिजिटल सर्वे का उद्देश्य खेतों की वास्तविक स्थिति को वेबसाइट पर डालना है.
भारत में पहला सर्वे कब हुआ था
जब अंग्रेज भारत में शासन कर रहे थे तो उन्हें एहसास हुआ कि यदि वे भारत की भौगोलिक विशेषताओं को समझ पाते हैं तो और अधिक शक्तिशाली हो सकते हैं. इसलिए, उन्होंने मानचित्र तैयार करने के लिए भारत के कई इलाकों में सर्वे कराए. जो स्थलाकृतिक मानचित्र सबसे पहले 1765 में मेजर जनरल रॉय के निर्देशन में ब्रिटिश सेना के लिए बनाए गए थे. उसके बाद 1767 में, अंग्रेजों ने “सर्वे ऑफ इंडिया” की स्थापना की. मेजर जेम्स रेनेल को भारत के पहले सर्वेयर जनरल के रूप में नियुक्त किया गया था