लाइव सिटीज, सेंट्रल डेस्क: छातापुर प्रखंड के महम्मदगंज पंचायत अंतर्गत वार्ड संख्या-02 में शनिवार को आयोजित संतमत सत्संग का 15वां वार्षिक महाधिवेशन आध्यात्मिक उल्लास, श्रद्धा और सामाजिक समरसता का जीवंत उदाहरण बना। इस अवसर पर विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं पनोरमा ग्रुप के प्रबंध निदेशक श्री संजीव मिश्रा ने मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेकर सत्संग में सम्मिलित श्रद्धालुओं को प्रेरणादायी संदेश दिया।
कार्यक्रम में पहुंचते ही मिश्रा ने सबसे पहले मंच पर स्थापित परम पूज्य संत महर्षि मेही परमहंस जी महाराज के तैल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा “महर्षि मेही जी का जीवन सत्य, अहिंसा, और आत्मिक शुद्धि की मिसाल है। उनके बताए मार्ग पर चलकर ही हम समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।
सत्संग को संबोधित करते हुए संजीव मिश्रा ने कहा कि संतमत की परंपरा भारत की आत्मा से जुड़ी है, जो प्रेम, सेवा और साधना का मार्ग दिखाती है। उन्होंने कहा—
> “हमारा कर्तव्य है कि हम संतों की बातों को केवल श्रोताओं की तरह न लें, बल्कि अपने जीवन में उतारें। सत्संग का उद्देश्य केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि आत्मचिंतन और आत्मविकास का रास्ता है।”
अपने उद्बोधन में मिश्रा ने वर्तमान सामाजिक परिस्थितियों का उल्लेख करते हुए कहा कि आज समाज में मानसिक तनाव, आपसी कटुता और स्वार्थ की भावना बढ़ रही है। इनसे मुक्ति केवल आध्यात्मिक चेतना से ही संभव है। संतों के मार्गदर्शन में रहकर हम इन सभी बुराइयों से ऊपर उठ सकते हैं।
उन्होंने उपस्थित लोगों से अपील की कि वे बच्चों में भी आध्यात्मिक संस्कार विकसित करें और सत्संग जैसे आयोजनों को अपने जीवन का अनिवार्य हिस्सा बनाएं। स्थानीय जनों में उत्साह दिखा। इस संत सम्मेलन में स्थानीय महादलित टोले से लेकर दूरदराज के गांवों से भी श्रद्धालु भारी संख्या में उपस्थित हुए। महिलाएं, बुजुर्ग, युवाओं सहित सभी वर्ग के लोगों में संजीव मिश्रा के आगमन को लेकर विशेष उत्साह देखा गया। सत्संग के दौरान भजन, ध्यान, प्रवचन, और सामूहिक प्रार्थनाओं का आयोजन किया गया, जिससे वातावरण पूरी तरह आध्यात्मिक और सकारात्मक ऊर्जा से भर गया।
मिश्रा ने कहा कि राजनीतिक जीवन में सक्रिय रहते हुए भी धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजनों में भाग लेना संस्कृति और समाज के प्रति जिम्मेदारी का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि एक सशक्त समाज निर्माण की नींव अध्यात्म और सेवा से ही रखी जा सकती है।
संजीव मिश्रा ने बताया कि राजनीति केवल सत्ता का माध्यम नहीं, सेवा का मंच है। जब राजनीति में आध्यात्मिक मूल्य जुड़ते हैं, तब ही वह लोक कल्याण का साधन बनती है।
संतमत सत्संग समिति और आयोजकों के प्रति आभार जताया और अंत में मिश्रा ने संतमत सत्संग समिति, स्थानीय ग्रामीणजनों, श्रद्धालुओं और आयोजकों का आभार प्रकट करते हुए आश्वासन दिया कि वे भविष्य में भी ऐसे आयोजनों में सहभागी बनकर समाज के नैतिक उत्थान में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करेंगे।