लाइव सिटीज पटना: बिहार में जीतन राम मांझी महागठबंधन से अलग हो चुके हैं. मंगलवार को जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने मांझी की पार्टी को ‘छोटी दुकान’ बताया था. जिस पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. ‘हम’ संरक्षक जीतन राम मांझी ने ‘छोटी दुकान’ वाले बयान पर ललन सिंह को जवाब दिया है. बुधवार को मीडिया से बात करते हुए ‘हम’ संरक्षक जीतन राम मांझी ने ललन सिंह को जवाब दिया और कहा कि दुकान का मतलब होता है-जहां खरीद-फरोख्त होती है लिहाजा माफ़ करेंगे, वे लोग खरीद-फरोख्त में माहिर हैं और विश्वास करते हैं. हमने सियासी जीवन में कभी भी ऐसे हथकंडे नहीं अपनाए हैं.
इसके साथ ही जीतन राम मांझी ने कहा कि मेरी पार्टी कोई दुकान नहीं है बल्कि जनता की सेवा करने के लिए एक मंच है. हमने मुख्यमंत्रित्वकाल में जो भी 34 बड़े फैसले लिए, उसको लागू कराने के लिए ही पार्टी का निर्माण किया और लगातार नीतीश कुमार का समर्थन किए लेकिन अब पानी नाक से ऊपर चढ़ गया था, जो बर्दाश्त के बाहर था. साथ ही जीतन राम मांझी ने कहा कि मैं नीतीश कुमार का पूरा सम्मान करता हूं लेकिन एक ही सवाल पूछता हूं कि जब जीतन राम मांझी 9 महीने मुख्यमंत्री रहा तो कौन ऐसा ग़लत काम किए कि उन्होंने गैर-संवैधानिक काम करवा कर मुझे बाध्य किया और फिर मैं मुख्यमंत्री नहीं रहा.
मांझी ने कहा कि नीतीश कुमार ने कुछ आधे-अधूरे फैसले लिए थे, जिससे जनता में नाराजगी थी. जनता लगातार हमारे कार्यकर्ताओं और नेताओं से सवाल कर रही थी लिहाजा ‘हम’ पार्टी को नीतीश सरकार से अलग होना पड़ा. जेडीयू में मर्ज करने का भी प्रस्ताव आया था, जो हमें मंजूर नहीं था इसलिए संतोष सुमन ने इस्तीफा दिया है. फिलहाल अब 18 जून को पार्टी की कार्यसमिति की बैठक होगी, जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी. मांझी ने कहा कि ललन सिंह के कहने या न कहने से क्या होता है. देखिए यह आप लोग भूल जाते हैं, मालूम नहीं क्यों भूल जाते हैं. हमने सब दिन कहा है कि हम महागठबंधन में नहीं है हम नीतीश कुमार के साथ थे तो नीतीश कुमार के साथ हम हटे हैं.
मांझी ने बताया कि मैं मुख्यमंत्री था, इस नाते मैं संगठन का नेता था, कोई भी बैठक बुलाने का अधिकार था, मैंने 19 फरवरी 2015 को बैठक बुलाई थी. लेकिन अचानक नीतीश कुमार ने शरद यादव को मिलाकर हमें मुख्यमंत्री पद को लेकर हटाने की पूरी कोशिश की गई और नीतीश कुमार ने 13 फरवरी को गैर कानूनी तरीके से बैठक बुला ली. मुझे कुर्सी छोड़ने के लिए मजबूर किया गया. जीतन राम मांझी ने ललन सिंह के छोटी दुकान का जवाब देते हुए तो उन्होंने कहा कि हम उनका सम्मान करते हैं लेकिन वह क्या बोलते हैं उनसे फर्क नहीं पड़ता हमारे लोग लगातार कह रहे थे कि आप निश्चित कुमार से अलग हो जाए हमने फैसला ले लिया है और अब आगे का फैसला 18 जून को लिया जाएगा.