पटना (लाइव सिटीज): बिहार में इन दिनों जिस तरह से कभी रामचरित मानस को लेकर तो कभी 10 परसेंट सवर्णों को लेकर बयान आ रहे हैं. इसे लेकर सियासी बयानबाजी काफी तेज है. लेकिन इसे लेकर भूमिहारों में भी जबर्दस्त नाराजगी देखी जा रही है. इसे लेकर राष्ट्रीय जन-जन पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और भूमिहार-ब्राह्मण एकता मंच के संयोजक आशुतोष कुमार ने काफी कड़ी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने आज ट्वीट कर अपने गुस्से का इजहार किया है. साथ ही भूमिहार समाज के साथ ही सवर्णों को भी एक मंच पर आने को कहा है.
राष्ट्रीय जन-जन पार्टी के अध्यक्ष आशुतोष कुमार ने आज ट्वीट कर कहा-आज जो हमारे धर्म ग्रंथ जला रहे हैं, कल वही लोग संविधान भी जलायेंगे. आज जो सवर्णों पर उंगलियां उठा रहे हैं, कल वही लोग अपनी मां-बहनों का लहंगा भी उठायेंगे. मौन हैं तो गूंगा मत समझो.हमारी बोली में तुम्हारी गोली से ज्यादा ताकत है. दरअसल पिछले दिनों बिहार की सियासत अचानक तब तेज हो गयी, जब महागठबंधन के नेताओं के अनाप-शनाप बयान आने लगे. बिहार कैबिनेट में शामिल शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर के बयान ने तो तहलका मचा दिया था.
उन्होंने नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के 15वें दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा था- ‘मनुस्मृति में समाज की 85 परसेंट आबादी वाले बड़े तबके के खिलाफ गालियां दी गईं हैं. रामचरितमानस के उत्तर कांड में लिखा है कि नीच जाति के लोग शिक्षा ग्रहण करने के बाद सांप की तरह जहरीले हो जाते हैं. यह नफरत को बोने वाले ग्रंथ हैं. एक युग में मनुस्मृति, दूसरे युग में रामचरितमानस, तीसरे युग में गुरु गोलवलकर का बंच ऑफ थॉट… ये सभी देश व समाज को नफरत में बांटते हैं. नफरत देश को कभी महान नहीं बनाएगी. देश को महान केवल मोहब्बत बनाएगी.’
इस बयान में सिर फुटौव्वल पॉलिटिक्स जारी ही थी कि आरजेडी कोटे से ही बने वरीय मंत्री आलोक मेहता ने अपने बयानों से सवर्णों का पारा हाई कर दिया. आलोक मेहता ने भागलपुर की सभा में कहा-‘जगदेव बाबू ने दलित, शोषित, पिछड़े और वंचितों के उत्थान की लड़ाई लड़ी, जिनकी हिस्सेदारी 90 प्रतिशत है… उन्हें समाज में कोई सम्मान नहीं मिलता था. वहीं जो आज 10 परसेंट आरक्षण वाले हैं, उन्हें अंग्रेजों ने जाते वक्त सैकड़ों एकड़ जमीन देकर जमींदार बना दिया. जबकि मेहनत, मजदूरी करने वाले आज तक भूमिहीन बने हुए हैं. आलोक मेहता यहीं नहीं रुके, उन्होंने आगे कहा- ‘जिन्हें आज 10 परसेंट आरक्षण में गिना जाता है, वह पहले मंदिर में घंटी बजाते थे और अंग्रेजो के दलाल थे. और जो 10 परसेंट लोग हैं, उन्हें EWS कहा जाता है…यह दलित, शोषित, वंचितों के लिए उचित नहीं है और यह आनेवाले समय में आरक्षण पर खतरा है.
बिहार के इन दोनों मंत्रियों बयानों ने यहां की सियासत में उफान ला दिया था. इन बयानों पर बीजेपी ही नहीं, महागठबंधन में शामिल घटक दलों के नेता भी आरजेडी को आंख दिखाने लगे थे. इसे लेकर अभी तक सियासी माहौल गरम ही है. माना जा रहा है कि आलोक मेहता और प्रोफेसर चंद्रशेखर के बयानों से सवर्णों में काफी नाराजगी है. और राष्ट्रीय जन-जन पार्टी के अध्यक्ष ने ट्वीट कर वैसे ही नेताओं को चेताया है और कहा कि हमें गूंगा समझने की भूल नहीं करें.