लाइव सिटीज पटना: जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने आज फिर सीएम नीतीश कुमार पर कई गंभीर आरोप लगाए. पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उन्होंने अपनी ही पार्टी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जमकर हमला बोला. उपेंद्र कुशवाहा ने साफ कहा कि मैं बिना हिस्सा लिए नहीं जाऊंगा. चाहे तो मेरे साथ पद ले लें. मुझे किसी पद का लालच नहीं है. वहीं भोजपुर में खुद पर हुए हमले पर उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि कल वाली घटना पर अधिकारी कह रहे है कि कोई हमला ही नहीं हुआ. मेरे पास उसका वीडियो है. DGP और मुख्य सचिव मिलकर जांच करें.
उपेन्द्र कुशवाहा ने अपने ऊपर हुए हमले का वीडियो दिखाते हुए बताया कि कैसे मेरे ऊपर हमला हुआ जिसे लेकर कई बाते कही जा रही हैं. कुशवाहा ने कहा मुझे अभी भी नीतीश जी पर पूरा भरोसा है और मुझे उम्मीद है मुझसे न्याय करेंगे. दरअसल सोमवार को भोजपुर जिले में जगदीशपुर नयका टोला मोड़ जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के काफिले पर कुशवंशी सेना से जुड़े युवकों ने अचानक पथराव कर काला झंडा दिखाना शुरू कर दिया।इसके बाद कुशवाहा समर्थकों ने युवकों की जमकर पिटाई की, जिससे वो बुरी तरह जख्मी हो गए. दो को सिर में चोटें आई है.
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि मुझे तो पार्लियामेंट्री बोर्ड का सदस्य भी नियुक्त नहीं किया गया है. उम्मीदवार के चयन में मेरी भूमिका हो सकती थी लेकिन वह भी नहीं मिली. कुशवाहा ने कहा कि मैंने जरूर कई सुझाव दिए लेकिन उस पर अमल नहीं किया गया. यदि गलत हो तो राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह खंडन कर सकते हैं. मैंने सुझाव दिया कि अति पिछड़ा समाज से राज्यसभा या विधान परिषद भेज दें, जिससे इस वर्ग में मैसेज जाए लेकिन मेरी बात नहीं मानी गई. उन्होंने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा कोई सरकारी नौकरी नहीं कर रहा है, उपेंद्र कुशवाहा राजनीति कर रहा है. एमएलसी बनना किसी के लिए सरकारी नौकरी नहीं होती है. मैं अगर केंद्रीय मंत्री पद छोड़ सकता हूं तो MLC का भी पद त्याग सकता हूं.
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि सीएम ने कहा कि पार्टी में उपेंद्र कुशवाहा आए तो हमने उन्हें इज्जत दी और वे मुझसे स्नेह करते हैं. उन्होंने संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष मुझे जरूर बनाया गया. तब मुझे भी लगता था मुझे उन दायित्वों का निर्वहन करने का अवसर मिलेगा. मैं कार्यकर्ताओं के हितों की रक्षा कर पाउंगा. लेकिन बाद में पता चला कि संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष मुझे बनाया गया तो सीधे तौर पर एक झुनझुना मेरे हाथ में थमाया गया है. मैं अध्यक्ष बन गया पर सदस्यों को भी मनोनीत नहीं कर सकता, इसका क्या अर्थ है? मुझसे कभी कोई सुझाव नहीं मांगा गया.
उपेंद्र कुशवाहा ने बोलते हुए आगे ये भी बताया कि उन्हें हिस्से में क्या चाहिए. कुशवाहा ने कहा कि ‘हिस्से का मतलब मैं आपको बताता हूं. जो हिस्सा कभी लालू जी ने नीतीश जी को नहीं दिया था. 1994 में 12 फरवरी को पटना के गांधी मैदान में आयोजित एक रैली में नीतीश कुमार ने जिस हिस्सेदारी की बात की थी. जो हिस्सा उन्होंने लालू प्रसाद यादव से मांगा था, वही हिस्सा उपेंद्र कुशवाहा मांग रहा है. बगैर वो हिस्सा लिए मैं नहीं जाउंगा. उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि 1994 में जो हिस्सा लालू से मांगा था वही हिस्सा मैं मांगा हूं. अब ये नीतीश जी से पूछिए उन्होंने क्या मांगा था. उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि बिना हिस्सा लिए पार्टी छोड़कर नहीं जाऊंगा, चाहे तो मेरे साथ पद ले लें. मुझे किसी पद का लालच नहीं है. मेरी मुख्यमंत्री से कोई नाराजगी नहीं है. किसी से कोई तल्खी नहीं. हमारा फोकस तो पार्टी है और पार्टी को आगे बढ़ाना है.