लाइव सिटीज पटना: जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा अब पूरी तरह से बागी हो चुके हैं. मंगलवार को पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उन्होंने अपनी ही पार्टी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जमकर हमला बोला. उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि सीएम अपनी इच्छा से काम नहीं कर पा रहे हैं. जेडीयू की ये स्थिति खतरनाक है. नीतीश कुमार खुद कोई फैसला नहीं ले पा रहे हैं. वे दूसरे लोगों के कहने पर चल रहे हैं. उन्होंने नीतीश कुमार को अपनी इच्छा से काम करने कह सलाह दी.
उपेंद्र कुशवाहा ने आज प्रेस कांफ्रेंस कर सबसे बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि नीतीश कुमार अपनी मर्जी से कोई काम नहीं कर पा रहे हैं. कुशवाहा ने कहा कि कुछ दिनों पहले कुढ़नी उप चुनाव में जब पार्टी के कैंडिडेट की हार हो गयी थी तो नीतीश कुमार ने खुद स्वीकारा था कि दूसरे लोगों के कहने पर उन्होंने टिकट दिया था. उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि नीतीश कुमार ये भी बता चुके हैं कि दूसरे लोगों के कहने पर उन्होंने बीजेपी को छोड़ कर राजद का दामन थामा है. इससे पहले जब 2017 में उन्होंने राजद को छोड़ कर बीजेपी का साथ चुना था वह भी दूसरे लोगों के कहने पर ही किया था.
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि जेडीयू की ये स्थिति खतरनाक है. नीतीश कुमार खुद कोई फैसला नहीं ले पा रहे हैं. वे दूसरे लोगों के कहने पर चल रहे हैं. ऐसे में जेडीयू अब समाप्त होने की ओऱ बढ़ रहा है. तभी मैं बार-बार नीतीश जी से अपील कर रहा हूं कि वे खुद फैसला लेना शुरू करें और पार्टी को बचायें. कुशवाहा ने सीएम नीतीश पर प्रहार करते हुए कहा कि बिहार में मंत्रियों की क्या हैसियत है. मंत्रियों का अधिकार क्या है आप लोग जान ही रहे हैं. मंत्री जी की कितनी चलती है ? अधिकारी लोग ही विभाग चलाते हैं.मंत्रियों का कोई वैल्यू नहीं है. कुछ समय पहले अति पिछड़ा समाज के एक मंत्री ने इज्जत नहीं मिलने पर इस्तीफा देने तक की बात कर दी थी. उस समय विभाग में तबादला का मामला था. उनकी बात नहीं सुनी गई थी. विवश होकर उन्होंने इस्तीफे का ऐलान कर दिया था. उन्होंने कहा कि मंत्री के रूप में लीडरशिप नहीं ऊभर रहा या उभरने नहीं दिया जा रहा है.
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि मुझे तो पार्लियामेंट्री बोर्ड का सदस्य भी नियुक्त नहीं किया गया है. उम्मीदवार के चयन में मेरी भूमिका हो सकती थी लेकिन वह भी नहीं मिली. कुशवाहा ने कहा कि मैंने जरूर कई सुझाव दिए लेकिन उस पर अमल नहीं किया गया. यदि गलत हो तो राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह खंडन कर सकते हैं. मैंने सुझाव दिया कि अति पिछड़ा समाज से राज्यसभा या विधान परिषद भेज दें, जिससे इस वर्ग में मैसेज जाए लेकिन मेरी बात नहीं मानी गई. उन्होंने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा कोई सरकारी नौकरी नहीं कर रहा है, उपेंद्र कुशवाहा राजनीति कर रहा है. एमएलसी बनना किसी के लिए सरकारी नौकरी नहीं होती है. मैं अगर केंद्रीय मंत्री पद छोड़ सकता हूं तो MLC का भी पद त्याग सकता हूं.
उपेंद्र कुशवाहा ने बोलते हुए आगे ये भी बताया कि उन्हें हिस्से में क्या चाहिए. कुशवाहा ने कहा कि ‘हिस्से का मतलब मैं आपको बताता हूं. जो हिस्सा कभी लालू जी ने नीतीश जी को नहीं दिया था. 1994 में 12 फरवरी को पटना के गांधी मैदान में आयोजित एक रैली में नीतीश कुमार ने जिस हिस्सेदारी की बात की थी. जो हिस्सा उन्होंने लालू प्रसाद यादव से मांगा था, वही हिस्सा उपेंद्र कुशवाहा मांग रहा है. बगैर वो हिस्सा लिए मैं नहीं जाउंगा. उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि 1994 में जो हिस्सा लालू से मांगा था वही हिस्सा मैं मांगा हूं. अब ये नीतीश जी से पूछिए उन्होंने क्या मांगा था. उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि बिना हिस्सा लिए पार्टी छोड़कर नहीं जाऊंगा, चाहे तो मेरे साथ पद ले लें. मुझे किसी पद का लालच नहीं है. मेरी मुख्यमंत्री से कोई नाराजगी नहीं है. किसी से कोई तल्खी नहीं. हमारा फोकस तो पार्टी है और पार्टी को आगे बढ़ाना है.