लाइव सिटीज पटना: नवादा में विधायक विभा देवी द्वारा आयोजित गोवर्धन मंदिर में चल रहे श्री हरिहर महायज्ञ के आठवें दिन आवाहित देवी देवताओं के विशेष पूजन विधान के बाद तीनों मंदिरों में देवी देवताओं को यथास्थान स्थापित कर दिया गया है और विधि-विधान के साथ सभी मंदिरों के गुंबद भी लगा दिए गए हैं. श्रद्धालुओं की भारी भीड़ से उठते जयघोष के बीच श्री शिव परिवार, श्री राधा कृष्ण, श्री हनुमान जी महाराज की सुंदर-सलोनी प्रतिमाएं स्थापित कर दी गई है. जिसे देखने के लिए मंदिर परिसर में भारी भीड़ उमड़ रही है.
धातु के सुनहरे गुंबद से सजे सभी मंदिर गगनचुंबी दृश्यानुभूति दे रहा है जबकि परिक्रमा में जुटे श्रद्धालुओं की भावनाएं अतिरेक उत्साह से भरा हुआ है और महायज्ञ के सभी ग्यारह जोड़ी जजमानों के मुखमंडल पर विजयी मुस्कान थिरकने लगी है. यज्ञाचार्य श्री उमेश दत्त शुक्ल और आचार्य गौरव दत्त शुक्ल ने बताया कि सभी मंदिरों में देवताओं की प्रतिष्ठा विधि विधान के साथ की गई. कल श्री हरिहर महायज्ञ की पूर्णाहुति संपन्न होगी जिसमें सभी यजमान समेत आम श्रद्धालु भी भक्ति भाव से स्थापित देवी देवताओं का पूजन करेंगे. गोवर्धन मंदिर समिति के सचिव महेंद्र यादव ने बताया कि महायज्ञ की पूर्णाहुति बेला में सभी श्रद्धालु विशेष रूप से आमंत्रित हैं क्योंकि पूर्णाहुति के बाद भव्य भंडारा का आयोजन हरिश्चंद स्टेडियम के मैदान में किया गया है.
महायज्ञ पूर्णाहुति अवसर पर राजबल्लभ परिवार दान करेंगे सैकड़ों गायें: राधे श्याम शास्त्री जी महाराज
गोवर्धन मंदिर में श्री हरिहर महायज्ञ के आठवें दिन कथा प्रारंभ करते हुए कथा वाचक आचार्य राधेश्याम शास्त्री जी महाराज ने महायज्ञ के पूर्णाहुति और दान का महत्व समझाया. उन्होंने मंदिर समिति के हवाले से बताया कि पूर्व राज्यमंत्री राजबल्लभ प्रसाद की पूज्य माता जी ने महायज्ञ की पूर्णाहुति के अवसर पर एक सौ ग्यारह गायें गोवर्धन मंदिर को अक्षय निधि के रूप में दान देने की घोषणा की हैं. श्री राजबल्लभ प्रसाद समेत उनके भाइयों रोहिताश्व प्रसाद, बाल्मीकि प्रसाद यादव और स्व कृष्णा प्रसाद की धर्मपत्नी प्रमिला देवी ने भी अपनी अपनी ओर से ग्यारह-ग्यारह गायें गोवर्धन मंदिर को दान करने की घोषणा की. इसके अलावे दानकर्ता अनूप जी द्वारा दान की गई एक लाख एक हजार रूपये और अनूप जी द्वारा दान की गई ग्यारह हजार रूपये समेत दान पेटी के सभी धनराशि से उत्तम नस्ल की गायें खरीद कर मंदिर को भेंट कर दी जायगी.
भागवत कथा के सातवें और आखिरी दिन कथावाचक राधेश्याम शास्त्री जी महाराज ने दत्तात्रेय द्वारा बनाये गए 24 गुरुओं की चर्चा करते हुए गुरुतत्व से विस्तारित परिचय कराया. उन्होंने बताया कि गुरु पूर्णिमा शिष्य का गुरु के परंतु समीक्षा का महापर्व है. गुरु की ऊर्जा, उसका प्रकाश, उसका प्रेम, उसका मुस्कुराना, उसकी उपस्थिति मात्र से शिष्य इतना पोषित हो जाता है कि बदले में वह कुछ दे नहीं सकता. उन्होंने स्पष्ट किया कि पश्चिम ने मनुष्य को विज्ञानं दिया है तो पूरब ने धर्म दिया है और धर्म का सार-अर्थ है ” गुरु-परताप साध की संगति.
अतिआधुनिक प्रकाश और ध्वनि व्यवस्था के बीच महाराज जी के कथावाचन से लोग मोहित होते चले गए. कथा के आखिरी दिन महाराज जी ने नवादा के कथाप्रेमियों की सराहना करते हुए कहा कि अक्सर इतनी बड़ी भीड़ में सोर-गुल और अनुशासनहीनता की शिकायतें मिलती है किन्तु यहां के लोग भगवतभक्ति में डूब कर कथा का रसपान किया जो काबिले तारीफ है.
श्री हरिहर महायज्ञ के आठवे दिन आज रासलीला मंच पर द्रोपदी चिर हरण का मार्मिक और कौतुहलपूर्ण दृश्य दिखाया गया. व्यास पीठ से व्यास भावेश कृष्ण भारद्वाज ने हरिकीर्तन के सुमधुर ध्वनि के साथ भगवान श्री कृष्ण की झांकी प्रस्तुत की तदुपरांत पूरा रासमंच महाभारत के द्रोपदी चीरहरण प्रसंग के हवाले रहा. वृन्दावन के कलाकारों के मोहक संवाद और अर्थपूर्ण मंचन से श्रद्धालु भावविभोर होते रहे. इसके पहले तुलसीदास के मानस से लिए गए धनुष यज्ञ , सीता स्वंयवर और रामजानकी विवाह प्रसंग को जीवन्त रूप में दिखाया गया था.