लोक सभा चुनाव 2024 के लिए राजद ने ‘परिवर्तन पत्र’ के नाम से अपना घोषणा पत्र जारी किया है. घोषणा पत्र में राजद ने 1 करोड़ नौकरी, 500 रूपया में गैस, बिहार के लोगों के लिए 200 यूनिट फ्री बिजली जैसे तमाम बड़े वादे किए गए हैं. लेकिन इस बीच राजद में इस्तीफों का दौर भी शूरू हो गया है. पहले जहां राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष देवेंद्र यादव ने अपना विरोध जताकर पप्पू यादव को समर्थन देने का ऐलान किया. तो वहीं 13 अप्रैल को राजद के पुर्व राज्यसभा सांसद अशफ़ाक करीम और प्रदेश उपाध्यक्ष बृशिण पटेल ने अपना इस्तीफा भेज दिया है. चलिए जानते हैं कि इन इस्तीफों का राजद पर क्या प्रभाव पड़ेगा? जहां एक तरफ तेजस्वी बड़ा दावा कर रहे हैं तो दूसरी तरफ उनकी ही पार्टी के नेता छोड़ के भाग रहे हैं.
देवेंद्र प्रसाद यादव ने लगाया अनदेखी का आरोप
राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और झंझारपूर के पुर्व सांसद देवेंद्र प्रसाद यादव ने राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव को पत्र लिख कर कार्यकर्ताओं की अनदेखी का आरोप लगाया. देवेंद्र यादव झंझारपूर के एक बड़ा चेहरा रहे हैं और उनकी गिनती पुराने समाजवादी नेताओं में की जाती है.
देवेंद्र प्रसाद यादव की राजनीतिक सफर
देवेंद्र प्रसाद यादव छात्र राजनीति के बाद पहली बार फुलपरास विधानसभा क्षेत्र से चुन कर विधानसभा तक गए थे. हालांकि जल्द ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया क्योंकि उनकी सीट से जननायक कर्पूरी ठाकुर को विधानसभा चुनाव लड़ना था. कुछ ही दिनों बाद देवेंद्र प्रसाद यादव को विधान परिषद् भेजा गया लेकिन वहां भी वे ज्यादा दिनों तक नहीं टिके. 1989 में झंझारपुर लोक सभा क्षेत्र से ताल ठोक और चुनाव जीत कर संसद में गए. संसद से उन्होंने देश की राजनीति में 5 बार अपना योगदान दिया. देवगौड़ा सरकार में उपभोक्ता मामलों के मंत्री बने और ऐतिहासिक खाद्य बिल पास कराने में महत्वपुर्ण रोल अदा की.
कई बार बदला पाला
जनता दल से होते हुए जेडीयू और राजद में गए. कुछ दिनों बाद मोह भंग हो गया तो समाजवादी जनता दल (डेमोक्रेटिक) नाम से एक अलग पार्टी बना लिए. हालांकि ये भी ज्यादा दिन तक नहीं नहीं चला जल्द ही इसका विलय जेडीयू में करा दिया गया. लेकिन यह भी अस्थाई नहीं था, कुछ दिन बाद फिर वे अपने पुराने घर राजद में आ गए और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिए गए.
पार्टी के खिलाफ खोला मोर्चा
देवेंद्र चाहते थे कि इस बार उन्हें झंझारपुर से लोक सभा का टिकट मिले लेकिन गठबंधन में सीट बंटवारे में झंझारपुर की सीट मुकेश सहनी की पाले में चली गई. और वहां से महा गठबंधन के उम्मीदवार के रूप में गुलाब यादव पर भरोसा जताया जा रहा है. इससे देवेंद्र आहत होकर लालू यादव को पत्र लिख अपना विरोध जताया.इसके साथ ही वे पप्पू यादव के लिए भी समर्थन में खड़े होकर राजद को चुनौती देते दिख रहे हैं.
पूर्व राज्यसभा सांसद अशफाक़ करीम ने दिया इस्तीफा
कटिहार के बड़े बिजनेस मैन और अल करीम यूनिवर्सिटी के चांसलर तथा पूर्व राज्यसभा सांसद अशफाक़ करीम ने भी अपना इस्तीफा भेज दिया है. वे राज्य में राजद पर मुस्लिम समाज की अनदेखी का आरोप लगा रहे हैं उनका कहना है कि 17 फीसद से अधिक अबादी वाले मुस्लिम समाज को सिर्फ 2 टिकट दिया गया है. हालांकि वे खुद भी कटिहार से चुनाव लड़ना चाहते थे. लेकिन वो सीट राजद के पाले में नहीं आयी थी. अशफाक़ करीम से सीमांचल की बड़ी मुस्लिम आबादी प्रभावित होती है. अब देखना होगा कि कितना राजद का वोट नुकसान कर सकते हैं.
बृशिण पटेल ने भी छोड़ा साथ
राजद के एक और कद्दावर नेता बृशिण पटेल ने भी साथ छोड़ दिया है. बृशिण पटेल ने भी पार्टी में अनदेखी का आरोप लगा कर पार्टी का साथ छोड़ दिया है. बृशिण पटेल नीतीश कुमार कैबिनेट में शिक्षा मंत्री रहे थे. इनके जाने से राजद को कितना नुकसान होगा इस बात के लिए हमने बिहार के वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय से बात की. उनका कहना था कि इन तीनों का अपना प्रभाव है. अगर ये लोग राजद में होते तो निश्चित ही राजद को फायदा होता.