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Explainer: जानिए Parole क्या है? जिस पर Anant Singh जेल से रिहा…

लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर देश भर सहित बिहार में 2 चरण के मतदान हो चुके हैं. तीसरे चरण का मतदान होना बाकि है. बिहार में इस बार काफी टक्कर का मुकाबला देखने को मिल रहा है. विपक्ष काफी हमलावर नजर आ रहा है. तो वहीं सता पक्ष अपने कामों को गिना रहा है. इस बीच चुनाव के दौरान सबसे ज्यादा चर्चा का विषय अनंत सिंह बने हुए हैं. मोकामा से पूर्व विधायक और जेल में बंद बाहुबली नेता अंनत सिंह पैरोल पर जेल से बाहर आए हैं. विपक्ष यह आरोप लगा रहा है कि अंनत सिंह को चुनाव में फायदे के लिए जेल से पैरोल पर बाहर निकाला गया है. तो चलिए जानते हैं कि पैरोल क्या होता है, कैसे मिलता है, कितने दिनों की समय सीमा होती है..

कैदी को मिलने वाली पैरोल क्या होती है?

पैरोल का अर्थ समान्यतः किसी सजायाप्ता अपराधी द्वारा काटे जा रहे सजा का जेल में एक बड़ा भाग काटने के बाद, अच्छे आचरण की वजह  से उसे जेल से अस्थायी रूप में कुछ दिनों के लिए रिहा किया जाता है.पैरोल का समय एक निश्चित अवधि के लिए होता है. समान्यतः यह 15 दिनों के लिए होता है. हालांकि इसको  कोर्ट में एक एप्लीकेशन दे कर इसकी अवधि को आगे लम्बा भी किया जा सकता है. जैसे अगर मान लीजिए कि कोई कैदी 15 दिन के लिए जेल से बाहर है और उसे कुछ आवश्यक कार्य हेतु और कुछ दिन बाहर रहने की जरूरत है तो वह कोर्ट में जज से आदेश ले सकता है.

किसे मिलता है पैरोल?

पैरोल पर रिहाई किसी भी तरह के अपराधी को मिल सकती है. मान लीजिए कि अगर कोर्ट में केस चल रहा है तो सिर्फ वह कोर्ट में अपील करने पर ऊपर की कोर्ट ही पैरोल दे सकती है. लेकिन अगर कैदी को को सजा मिल चुकि है. तो प्रशासन व जेल अध्यक्ष भी पैरोल दे सकते हैं. हालांकि यह उतना आसान नहीं है. पैरोल मिलना बहुत कठीन काम है लेकिन उससे कहीं ज्यादा कठिन है, पैरोल  मिलने के नियमों और शर्तों का पालन करना.

पैरोल कितने प्रकार की होती है.

भारत की न्याय व्यवस्था में मुख्य रूप से दो प्रकार की पैरोल का उल्लेख मिलता है

  1. कस्टडी पैरोल
  2. रेगुलर पैरोल

कस्टडी पैरोल क्या होती है..

कस्टडी पैरोल के तहत् अपराधी को किसी विशेष स्थिति में जेल से बाहर लाया जाता है. जेल से बाहर उसके साथ हमेशा पुलिस कस्टडी का घेरा रहता है. उदाहरण के लिए पुलिस के घेरा में अभी हाल में ही जेल में बंद अपराधी की शादी के लिए कस्टडी पैरोल मिली थी. कस्टडी पैरोल अपराधी को तब दी जाती है. जब उसके परिवार में किसी अपने की मौत हो जाती है. या परिवार में किसी विशेष व्यक्ति की शादी का अवसर होता है. इसके अलावा अगर परिवार में यदि कोई बीमार होता है.कस्टडी पैरोल की अवधि अधिकतम 6 घंटों के लिए ही होती होती है.इस प्रकार के पैरोल के लिए जेल सुपरिंटेंडेंट से परमिशन लेना होता है. यदि आपके रिकेवेस्ट को जेल सुपरिंटेंडेंट के द्वारा रिजेक्ट कर दिया जाता है तो कोर्ट के माध्यम से भी ले सकते हैं.

नियमित पैरोल क्या है?

नियमित पैरोल उस अपराधी को मिलता है जिसे सजा सुनाया जा चुका है यानि जो पहले से सजायाप्ता अपराधी हो. इस पैरोल के दौरान उसके साथ पुलिस की सुरक्षा घेरा साथ नहीं होता है. नियमित पैरोल की शर्त यह है कि अपराधी कम से कम एक साल की अपनी सजा जेल में काट चुका हो. इसके साथ  ही जेल में उसका व्यव्हार अच्छा हो.  यह एक साल में एक महीने के लिए मिल सकता है. अलग अलग राज्यों इसके लिए नियम भी अलग अलग हैं किसी राज्य में इसकी समय सीमा भी अलग अलग है.नियमित पैरोल पाने के लिए कुछ शर्त भी है जैसे कि यदि उस अपराधी के परिवार में कोई बीमार हो.किसी विशेष व्यक्ति का परिवार में विवाह हो या फिर किसी परिस्थिति में मकान की मरम्मत करानी बहुत जरुरी हो. या फिर ऐसा काम हो जिसे पूरा किया जाना अपराधी के लिए बहुत जरुरी हो. तब उसे नियमित पैरोल पर रिहा किया जा सकता है.

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