लाइव सिटीज पटना: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने रामायण की कुछ पंक्तियों पर घोर आपत्ति जताई है. उन्होंने रामायण की कुछ पंक्तियों को गलत बताते हुए, उसे हटाने की भी बात कही है. जीतन राम मांझी ने कहा कि रामायण को हम भी मानते हैं, मेरे लिए भी पूज्य महाकाव्य है. उन्होंने कहा कि रामायण से ही रामचरितमानस का सृजन हुआ है और रामायण को वाल्मीकि जी ने लिखा है. फिर भी वाल्मीकि जी की जयंती क्यों नहीं मनाई जाती है. उनको क्यों नहीं पूजा जाता है.
नारी नीर नीच कटी धावा, ढोल गवार शुद्र पशु नारी सकल ताड़ना के अधिकारी, पूज्य विप्र शील गुण हीना. रामायण के इन चौपाइयों पर जीतन राम मांझी ने सवाल उठाया है. उनका कहना है कि वह उनकी बात मानते हैं, लेकिन इसमें नारी नीर नीच कटी धावा क्यों बोला गया है, उसमें कुछ अच्छी बातें भी तो हैं. उन्होंने कहा कि या तो इसे मिटा देना चाहिए या जो रामायण के मर्मज्ञ हैं उन्हें वह काट देना चाहिए.
जीतन राम मांझी ने कहा कि हम जाति की बात नहीं कर रहे हैं, लेकिन नारी जो 50 प्रतिशत है और आधुनिक युग में नारी सशक्तिकरण की बात कही जा रही है तो इसमें नारी को नीच बताया जा रहा है. रामायण के ज्ञाता को इसका जवाब जरूर देना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि हम रामचरितमानस को खराब नहीं कह सकते क्योंकि उसमें बहुत ही अच्छी अच्छी बातें लिखी हुई हैं. हम जहां जाते हैं वहां रामायण की ही बात करते हैं इससे अच्छा महाग्रंथ कोई हो ही नहीं सकता है.
जीतन राम मांझी ने कहा कि रामायण राजनीति के लिए यह अच्छी महाकाव्य है. इसमें कहा गया है कि दूसरों की भलाई करने से पुण्य होता है. रामचरितमानस की चौपाइयां पर आपत्ति जताते हुए उन्होंने कहा कि कुछ ऐसी पंक्तियां है जिसके चलते लोग कुछ करते हैं, लेकिन हम नहीं समझते कि कुछ करना चाहिए. उनका कहना है कि हमें हंस की तरह होनी चाहिए. जैसे हंस पानी से दूध निकालकर पी लेता है वैसे ही हमें रामचरितमानस से दूध और पानी को अलग कर लेना चाहिए.