लाइव सिटीज, पटना: उत्तर बिहार के 20 जिलों में अगले 72 घंटों के दौरान बाढ़ का गंभीर खतरा मंडरा रहा है. नेपाल से आने वाली नदियों में जलस्तर बढ़ने से इन जिलों में जलप्रलय की स्थिति उत्पन्न हो सकती है. रिपोर्ट के अनुसार, शनिवार को कोसी बराज से 6.17 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जो 56 सालों में दूसरी बार सबसे अधिक है. साथ ही, वाल्मीकि नगर में गंडक बराज से भी 5.62 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जिससे इन जिलों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है.
पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, गोपालगंज, सारण, मुजफ्फरपुर, वैशाली, सीतामढ़ी, शिवहर, समस्तीपुर, किशनगंज, अररिया, पूर्णिया, कटिहार, सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, मधुबनी, दरभंगा, खगड़िया, और भागलपुर. इन जिलों में प्रशासन ने बाढ़ से निपटने के लिए तैयारियां तेज कर दी हैं, और तटबंधों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विशेष उपाय किए जा रहे हैं.
जल संसाधन विभाग ने 45 जूनियर इंजीनियर, 25 सहायक अभियंता, 17 कार्यपालक अभियंता, और 3 अधीक्षण अभियंता को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में तैनात किया है. ये अधिकारी तटबंधों की स्थिति पर कड़ी निगरानी रख रहे हैं और किसी भी आपात स्थिति में तुरंत कार्रवाई के लिए तैयार हैं. तटबंधों की सुरक्षा के लिए चौकसी बढ़ा दी गई है, खासकर संवेदनशील क्षेत्रों में.
आपदा से निपटने के लिए जल संसाधन विभाग ने प्रधान सचिव के नेतृत्व में एक विशेष वॉर रूम स्थापित किया है. इस वॉर रूम से अगले 72 घंटों तक स्थिति की लगातार निगरानी की जाएगी और सभी राहत कार्यों का संचालन होगा. अधिकारियों को तीन शिफ्टों में 24 घंटे तैनात किया गया है.