लाइव सिटीज पटना: सड़क दुर्घटना में बुरी तरह घायल हो चुके मुजफ्फरपुर के तरूण को पारस एचएमआरआई के डॉक्टर ने नया जीवन दिया है. स्वस्थ होने के बाद अब वह सामान्य जीवन जी रहा है. दरअसल मुजफ्फरपुर के तरूण (24 वर्ष) सड़क दुर्घटना में बुरी तरह घायल हो गए थे. उनका गला बुरी तरह कट चुका था. यहां तक कि श्वास नली और अन्य नस भी कट चुके थे. ऐसे में पारस एचएमआरआई के डॉक्टर ने तरूण को नया जीवन दिया है.
दरअसल रात करीब 1 बजे मुजफ्फपुर के तरूण के परिजन उन्हें उस वक्त लेकर पारस एचएमआरआई अस्पताल पहुंचे जब मुजफ्फरपुर के चिकित्सकों ने हाथ खड़े कर दिए थे. समस्या जटिल थी, लेकिन ईएनटी एंड हेड-नेक सर्जन डॉ. रश्मि प्रसाद ने इस केस को चुनौती के रूप में लिया. उन्होंने तुरंत मरीज को ऑपरेशन थियेटर में लिया. सबसे पहले सांस की नली में जमे रक्त को निकाला गया और ट्रेकियोस्टोमी ट्यूब के माध्यम से उन्हें बाहर से सांस दी जाने लगी.
कुछ देर बाद ही उनका ऑक्सीजन लेवल 20 से जब 90 प्रतिशत पर पहुंचा तो डॉ. रश्मि प्रसाद को लगा कि अब मरीज को बचाया जा सकता है. ऑक्सीजन लेवल उपर आते ही कट चुके अन्य खून की नली को जोड़ा गया और इंटेसिव केयर यूनिट में ही देर रात से सुबह तक उनकी सतत निगरानी की जाती रही. जब सुबह में मरीज ने आंखें खोली तो उनके परिजनों का खुशी का ठिकाना नहीं था, क्योंकि तरूण अपने माता-पिता की इकलौती संतान था.
परिजनों को यह विश्वास हो चला था कि अब उसे नया जीवन मिल चुका है. डॉ. रश्मि बतातीं हैं कि रात करीब सवा एक में उन्हें मरीज के पारस एचएमआरआई पहुंचने की जानकारी मिली थी. इसके तुरंत बाद जब वह अस्पताल पहुंचीं तो मरीज की स्थिति देखकर थोड़ी देर के लिए वह भी दंग रह गईं, क्योंकि उसका गला बुरी तरह से कटा हुआ था और मरीज का ऑक्सीजन लेवल केवल 75% ही रह गया था. मरीज भी लगभग कुछ समय के लिए ही बचा हुआ लग रहा था.
डाॅ. रश्मि ने परिजनों को समझाया कि मरीज की स्थिती बहुत गंभीर है यदि तुरंत ऑपरेशन नहीं किया गया तो तरुण को बचाना असंभव होगा और परिजन तुरंत राजी हो गए. गर्दन की अन्य नसों के साथ उसकी श्वास नली भी कट गई थी. वे बतातीं हैं कि ऐसी स्थिति में मरीज के बचने की मात्र 20 फीसदी संभावना होती है. फिर भी उन्होंने सांस की नली में ट्रेकियोस्टोमी ट्यूब डालकर सांस और खून की कटी नली को जोड़कर उसकी जान बचाई.
डॉ. रश्मि कहतीं हैं कि सबसे पहले सांस की नली को जोड़कर उसका ऑक्सीजन लेवल हाई किया गया. फिर खून की कटी नली को जोड़कर ब्लीडिंग को रोका गया और 12 से पांच पर पहुंच चुके हीमोग्लोबिन लेवल को बढ़ाया गया. वे कहतीं हैं कि अक्सर ऐसे मामलों में देखा जाता है कि सांस की नली में ब्लड जम जाने से मरीज सांस नहीं ले पाता है. जब स्थिति संभल जाती है तो फिर अन्य नसों को जोड़ा जाता है.
अब तरूण बिल्कुल स्वस्थ है और सामान्य जीवन जी रहा है. तरूण की मां कहतीं हैं कि डॉ. रश्मि हमलोगों के लिए सचमुच धरती की भगवान साबित हुईं. उन्होंने हमारे इकलौते पुत्र को नया जीवन दिया है, क्योंकि मुजफ्फरपुर के चिकित्सक हाथ खड़े कर चुके थे और उसके बचने की संभावना ना के बराबर बता रहे थे. हालांकि पारस एचएमआरआई अस्पताल में इलाज के बाद तरूण पूरी तरह स्वस्थ हो चुका है और सामान्य जीवन यापन कर रहा है.