लाइव सिटीज पटना: बिहार के पूर्व पूर्व सांसद आनंद मोहन आज यानी बुधवार को सहरसा कारा में सरेंडर करेंगे. मंगलवार को ही वह सहरसा पहुंच चुके हैं. दरअसल उनको जो पैरोल मिली थी, उसकी मियाद 25 अप्रैल को पूरी हो चुकी है. ऐसे में स्थायी तौर पर रिहाई के लिए आनंद मोहन को कागजी प्रक्रिया पूरी करनी होगी. इसके लिए उनें जेल वापस जाना होगा. बता दें सोमवार को बिहार सरकार ने जिन 27 कैदियों की रिहाई का आदेश जारी किया है, उनमें पूर्व सांसद आनंद मोहन भी शामिल हैं.
मंगलवार को पटना से निकलने के दौरान मीडिया से बातचीत करते हुए आनंद मोहन ने कहा कि बेटे चेतन आनंद की सगाई के लिए उनको 15 दिनों की पैरोल मिली थी. 25 अप्रैल को पैरोल की अवधि पूरी हो चुकी है. लिहाजा हर हाल में बुधवार सुबह उनको सरेंडर करना होगा. उसके बाद जो भी जेल की प्रक्रिया है, उसको पूरी कर वह बाहर आ जाएंगे. वहीं रिहाई पर उठ रहे सवाल पर आनंद मोहन ने कहा कि रिहाई का फैसला हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के आलोक में ये फैसला लिया गया है, इसलिए किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए.
आनंद मोहन ने कहा कि पैरोल सरेंडर करेंगे और जो भी जेल की प्रक्रिया है, उसको पूरी कर के बाहर आएंगे. बुधवार को सुबह तक सहरसा जेल में पहुंचना है, लिहाजा पटना से सहरसा जा रहा हूं. हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के आलोक में ये फैसला लिया गया है, इसलिए किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए. जहां तक राजनीति में सक्रिय होने का सवाल है तो जेल से बाहर आने के बाद अपने पुराने साथियों के साथ मिल-बैठकर फैसला करूंगा.
बता दें कि सोमवार को बिहार सरकार ने जिन 27 कैदियों की रिहाई का आदेश जारी किया है, उनमें पूर्व सांसद आनंद मोहन भी शामिल हैं. हालांकि उनकी रिहाई को लेकर सियासत भी तेज है. कई सामाजिक संगठन और राजनीतिक दलों ने रिहाई पर आपत्ति जताई है. उधर आनंद मोहन का कहना है कि सरकार ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार ही फैसला लिया है. इसलिए सरकार के निर्णय पर सवाल उठाने का कोई मतलब नहीं है. वैसे भी मैंने अपने हिस्से की सजा पूरी कर ली है.
बता दें कि आनंद मोहन को गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा मिली थी. जिसके बाद से वह करीब 16 सालों से जेल में बंद हैं. उन पर भीड़ को उकसाने का आरोप है. अभी हाल में ही राज्य सरकार ने आनंद मोहन समेत 27 कैदियों को रिहा करने का आदेश जारी किया है. जिसको लेकर कई सवाल भी उठ रहे हैं. हालांकि आनंद मोहन का कहना है कि सरकार ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार ही फैसला लिया है.