लाइव सिटीज, पटना: कार्तिक पूर्णिमा का पावन पर्व हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को होता है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का विधान है. उसके बाद दान देते हैं. कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान करने से अक्षय पुण्य मिलता है और व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है. इस दिन लोग व्रत रखकर सत्यनारायण भगवान की पूजा करते हैं और कथा सुनते हैं. इस अवसर पर भगवान शिव की पूजा का भी विधान है. कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा कहते हैं, इस दिन देव दीपावली भी मनाते हैं. पूर्णिमा की रात चंद्रमा की पूजा करते हैं और अर्घ्य देते हैं.
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, इस साल कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा तिथि 15 नवंबर शुक्रवार को सुबह 6 बजकर 19 मिनट पर शुरू हो रही है. यह तिथि 16 नवंबर दिन शनिवार को तड़के 2 बजकर 58 मिनट पर खत्म होगी. ऐसे में उदयातिथि के आधार पर कार्तिक पूर्णिमा 15 नवंबर शुक्रवार को है.
15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त 04:58 ए एम से 05:51 ए एम तक है. उस दिन का शुभ समय या अभिजीत मुहूर्त दिन में 11 बजकर 44 मिनट से दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक है. उस दिन व्यतीपात योग सुबह 07:30 ए एम तक है, उसके बाद वरीयान योग होगा, जो अगले दिन 16 नंबर को तड़के 03:33 बजे तक रहेगा.कार्तिक पूर्णिमा को भरणी नक्षत्र सुबह से लेकर रात 9 बजकर 55 मिनट तक है, उसके बाद से कृत्तिका नक्षत्र है. कार्तिक पूर्णिमा पर सूर्योदय सुबह 6:44 बजे होगा.
कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान और दान का सबसे उत्तम समय ब्रह्म मुहूर्त है. इस समय में स्नान के बाद अपनी क्षमता के अनुसार दान देना चाहिए. जो लोग ब्रह्म मुहूर्त में स्नान नहीं कर सकते हैं, वे सूर्योदय के बाद स्नान कर लें. गंगा स्नान का अवसर नहीं है, तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें.