लाइव सिटीज, पटना: आरक्षण के अंदर कोटा को लेकर एनडीए में दरार दिखने लगी है. एनडीए के दो घटक दल आमने-सामने हो गये हैं. लोजपा (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने जहां सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाया है, वहीं हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के संरक्षक जीतनराम मांझी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए चिराग पासवान को स्वार्थी बताया है.
उन्होंने कहा कि भुइयां, मुसहर, डोम, मेहतर जाति के जो लोग हैं उनमें से कितने आईएएस, आईपीएस, इंजीनियर और चीफ इंजीनियर हैं. जो लोग आज क्षोभ व्यक्त कर रहे हैं उन चार जातियों के लोग ही आरक्षण का लाभ ले रहे हैं. इसका मतलब है कि सिड्यूल कास्ट का हक वही लोग लेते रहें. 76 वर्ष से तो वह लोग लेते ही रहे हैं.
आरक्षण के अंदर कोटा पर चिराग पासवान की अपत्ति दर्ज की है. आरक्षण के भीतर कोटा के फैसले पर चिराग पासवान ने कहा कि आरक्षण दलितों के साथ भेदभाव को देखते हुए दिया गया. पहले दलितों को मंदिर में पूजा नहीं करने दिया जाता है. ना ही घोड़ी चढ़ने दिया जाता है. चिराग के बयान के बाद जीतन राम मांझी ने फैसले के पक्ष में बयान देकर सबको चौंका दिया. उन्होंने कहा है कि जो आदमी बढ़ गया है, वह आगे बढ़ते रहे और जो लोग पिछड़ गए हैं उनके बारे में सोंचा जाए, इसलिए हम हर हालत में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत करते हैं. सुप्रीम कोर्ट का जो जजमेंट आया है वह 10 साल पहले आना चाहिए था. बाबा साहेब के अनुसार आरक्षण एक मानदंड है सबसे नीचे होने का.
जीतनराम मांझी ने कहा कि एससी की साक्षरता दर महज 30 फीसद है. इस तीस प्रतिशत के भीतर कई जातियां हैं. तीस प्रतिशत से ऊपर वाली जातियों को आरक्षण का लाभ मिलता रहे, मैं इसका विरोध नहीं करता हूं. जिन लोगों की साक्षरता दर 7-8 प्रतिशत है, उसको तो आगे बढ़ाना ही होगा. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिया है कि जो समाज में नीचे गिरा हुआ है, उसको आगे बढ़ाने के लिए प्रयास होना चाहिए. चिराग पासवान के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए मांझी ने कहा कि ऐसी बात स्वार्थी लोग कह रहे हैं.