लाइव सिटीज, पटना: बिहार के राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने राजभवन के दरबार हॉल में संविधान दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि मौलिक अधिकारों के साथ-साथ मौलिक कर्त्तव्यों की भी आवश्यकता होती है लेकिन मानवीय मूल्यों का होना भी अत्यंत आवश्यक हैं, जिन्हें बरकरार रखने के लिए संविधान की जरूरत होती है। देश, समाज और परिस्थिति के अनुसार मौलिक अधिकारों में भिन्नता हो सकती है लेकिन मानवीय मूल्य हमेशा एक समान ही रहते हैं।
राज्यपाल ने कहा कि संविधान द्वारा प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हमारी परंपरा में रही है। उन्होंने बिहार के महिषी में शंकराचार्य और मंडन मिश्र के बीच हुए शास्त्रार्थ को इसका एक श्रेष्ठ उदाहरण बताते हुए कहा कि इसमें असहमति के साथ-साथ सहिष्णुता एवं एक-दूसरे के विचारों के प्रति सम्मान का भाव था। आज हमें इसकी जरूरत है।
उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान में इसके निर्माताओं और हमारे स्वतंत्रता सेनानियों की आशाओं और आकांक्षाओं का समावेश है। हमें इसके भाव को समझने की आवश्यकता है। इस अवसर पर राज्यपाल के नेतृत्व में भारत के संविधान की उद्देशिका का समूह पाठ किया गया और उपस्थित महानुभावों ने इसके अनुपालन का संकल्प लिया। उन्होंने संविधान दिवस की शुभकामनाएं भी दी।