लाइव सिटीज, पटना: जन सुराज पदयात्रा के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में जाति एक बड़ी सच्चाई है क्यू लेकिन बिहार में जाति उतनी ही बड़ी सच्चाई है जितना कि उत्तर प्रदेश, गुजरात और कर्नाटक में है। हम और आप बस मान बैठें हैं कि बिहार में जाति ही एक सच्चाई है। दूसरी बात हर आदमी बिहार में जाति पर वोट कर रहा है ये भी सच्चाई नहीं है।
प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में हम में से कई लोग मानते हैं कि भाजपा का वोट बिहार में नहीं है मगर लोग मोदी के नाम से वोट देते हैं, तो मोदी की जाति के कितने लोग बिहार में रहते हैं? आज वो आदमी जो मोदी को वोट दे रहा है वो मोदी की जाति को देखकर वोट नहीं कर रहा है। हमनें जो परिकल्पना जाति वाली अपने मन में बैठा ली है वो ठीक नहीं है। जब मैंने पदयात्रा की शुरुआत की थी तब मैंने बताया था कि पदयात्रा के बाद सब लोग मिलकर दल बनाएंगे।
प्रशांत किशोर ने कहा कि जब पदयात्रा शुरू की गई थी तो एक अनुमान था कि एक जिले में पदयात्रा को खत्म होने में 10 से 15 दिन का समय लगेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ आज एक जिले में पदयात्रा खत्म होने में 50 से 60 दिन लग रहा है।
प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि पदयात्रा के दौरान मेरे पास लोगों के सुझाव आए हैं कि पूरी पदयात्रा खत्म करने में 2 से 3 साल का समय लगेगा। तो कम से कम जिन जिलों में पदयात्रा खत्म हो चुकी है और संगठन बन गया है उन जिलों में जन सुराज को राजनीतिक रूप दिया जाए। हम सबके बीच चर्चा हो रही है और यह संभव है कि अगले 2 से 3 महीने में जिन जिले में पदयात्रा समाप्त हो चुकी है और जहां संगठन बन गया है और लोग जन सुराज से जुड़ गए हैं वहां पर लोग मिलकर यह निर्णय ले सकते हैं कि लोग चुनाव लड़ेंगे।
प्रशांत किशोर ने कहा कि जन सुराज में चुनाव लड़ने के दो तरीके हो सकते हैं पहला, कोई निर्दलीय चुनाव लड़े जिसकी मदद पूरी जन सुराज के लोग करेंगे दूसरा, जन सुराज पार्टी बनाकर चुनाव लड़ा जाए। अब इसका रूप क्या होगा ये अक्टूबर के आसपास निर्णय होने की संभावना मैं देखता हूं।