लाइव सिटीज पटना: जीतनराम मांझी के महागठबंधन से अलग होने पर सीएम नीतीश कुमार का बड़ा बयान सामने आया है. सीएम नीतीश ने कहा कि मांझी के जाने से कोई फर्क नहीं पड़ता. मैंने उनको जदयू में विलय के लिए बोला था. वह साथ होते थे तो बीजेपी तक बात पहुंचाते थे. सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि सीएम ने कहा कि जीतन राम मांझी से कहा था कि या तो अपनी पार्टी का जेडीयू में विलय कर दीजिए या महागठबंधन से अलग हो जाइए. मांझी ने विलय के बजाए महागठबंधन से अलग होने का निर्णय ले लिया और उनके बेटे संतोष सुमन ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया.
दरअसल आज नीतीश मंत्रिमंडल का विस्तार हो रहा था. जदयू के विधायक रत्नेश सदा ने मंत्री पद की शपथ ली. जीतन राम मांझी के बेटे संतोष सुमन के इस्तीफे के बाद सदा को मंत्री बनाया गया है. इसी को लेकर जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सवाल किया गया कि मांझी आप से अलग हो गए हैं और तरह-तरह के आरोप भी लगा रहे हैं. जिसके जवाब में सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि मांझी दिल्ली जाकर बात कर वापस आए थे तो हमसे कहे थे कि हम आपके साथ रहेंगे. यहां थे तो वो चाहते थे कि हम बड़े जगह पर रहे. एक बात सबको मालूम था कि वह जहां कहीं भी थे लेकिन बीजेपी के लोगों से मिल रहे थे.
नीतीश कुमार ने कहा कि 23 जून को पटना में विपक्षी दलों की बैठक है. अगर मांझी महागठबंधन में रहते तो मीटिंग में जो भी बातें होतीं वह सब जाकर बीजेपी को बता देते इसलिए हमने पहले कह दिया था कि विलय करिए पार्टी का जेडीयू में या बाहर हो जाइए. महागठबंधन में मांझी जब थे तो बीजेपी के लोगों से मिल रह थे. हमको पता था कि वह चले जाएंगे, लेकिन आकर हमसे कहते थे कहीं नहीं जायेंगे. आपके साथ रहेंगे.
नीतीश कुमार ने कहा कि आपको भी मालूम है आपको हमने इतना ज्यादा बनाया कोई दूसरा नहीं बनाया इसलिए अब या तो आप अपनी पार्टी को मर्ज कीजिए नहीं तो अलग होना है तो अलग हो जाइए. तो वह मर्ज नहीं किया और ठीक है अलग हो जाते हैं तो अलग हुआ, तो ठीक हुआ. उनके जाने से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है. हमलोग 23 तारीख को मीटिंग करेंगे और अगर यह लोग उस मीटिंग में अंदर होता तो जो कुछ भी वहां तय होता ये बीजेपी वाला को बता देता, इसीलिए हमने उनसे कहा कि या तो आप मर्ज करिए या अलग हो जाइए. उसके बाद वो अलग हो गए.
वहीं समय से पहले चुनाव करवाए जाने की बातों को लेकर सीएम नीतीश ने कहा कि यह तो केंद्र सरकार को अधिकार है ना, वो चाहे तो समय से पहले चुनाव करा ही सकता है. जिसको बहुमत है वह चाहे तो पहले भी चुनाव करा सकता है. जब हम लोग अटल जी के साथ थे तो उन्हीं के पार्टी वाले लोग तीन चार महीने पहले चुनाव करवा दिया था, हालांकि अटल जी ऐसा नहीं चाहते थे. विपक्ष एकजुट हो रहा है तो हो सकता है उन लोगों को लगे कि यह लोग आगे मिलकर बहुत कुछ करेगा तो नुकसान होगा, इसलिए समय से पहले चुनाव करवा सकते हैं.