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ऋतुराज सिन्हा ने हजारों लोगों के साथ PM मोदी को सुना, कहा-‘मन की बात’ को सुनकर मिलती है सकारात्मक ऊर्जा

लाइव सिटीज पटना: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मन की बात का 100 वां एपिसोड रविवार को देश भर में आयोजित किया गया. पीएम मोदी के इस खास एपिसोड को सुदुरवर्ती ग्रामीण क्षेत्र से लेकर शहर और देश की राजधानी के साथ ही यूएनओ तक सुनी गई. वहीं ‘मन की बात’ के 100वें ऐतिहासिक प्रसारण को पांच राज्यों के प्रभारी और भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री ऋतुराज सिन्हा ने आज पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र के फतुहा विधानसभा में कटैया घाट पर गंगा नदी के किनारे नाविकों, संतों, महिलाओं, एनसीसी के कैडेट्स एवं हजारों की संख्या में उपस्थित फतुहा नगरवासियों के साथ सुना और प्रधानमंत्री का बहुमूल्य मार्गदर्शन प्राप्त किया.

इस दौरान ऋतुराज सिन्हा ने कहा कि यह हम सभी के लोगो के लिए गौरव की बात है कि आजादी के बाद भारत देश को ऐसा प्रधानमंत्री मिला है जो सीधे और सबसे अधिक संवाद जनता के साथ करने में विश्वास रखता है. उन्ही के शब्दों में उनके लिए मन की बात सिर्फ जनसंवाद नही बल्कि जनता रूपी ईश्वर की पूजा की प्रसाद है. जनता से सीधे तौर पर न सिर्फ संवाद करने का काम करते है बल्कि उनके किए प्रयासों को विश्व में पहचान दिलाने का भी काम करते है. ऐसे व्यक्तिव के धनी को सुनकर एक सकारात्मक ऊर्जा की अनुभूति होती है और आज सभी सुनने वालो के अंदर सकारात्मक ऊर्जा को देखकर यह विश्वास हो गया है कि बिहार के लोग भी प्रधानमंत्री के कार्यों में अपनी सहभागिता निभाकर एक बार फिर से देश में नरेंद्र मोदी की सरकार बनाने के लिए अभी से ही कमर कस ली है.

‘मन की बात’ के 100वें संस्करण में प्रधानमंत्री ने उद्यमिता, लोकल फॉर वोकल, स्वच्छता और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में जनभागीदारी जैसे सामाजिक विषयों पर देशवासियों को संबोधित किया व सामाजिक निर्माण में अपनी सहभागिता सुनिश्चित कर रहे गणमान्यों के किस्सों से जनता को प्रेरित किया.

बता दें कि बिहार सहित देश भर में मन की बात के इस विशेष कार्यक्रम के लिए खास तैयारी की गई. देश के सभी जिलों में अलग अगल स्तर पर आयोजन किया गया. वहीं इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मन की बात कार्यक्रम नहीं, यह मेरे लिए आस्था,पूजा और व्रत है. जैसे लोग ईश्वर की पूजा करने जाते हैं तो प्रसाद की थाल लाते हैं. मन की बात ईश्वर रूपी जनता जनार्दन के चरणों में प्रसाद की थाल जैसे है. उन्होंने कहा, आपके पत्र पढ़ते हुए कई बार मैं भावुक हुआ, भावनाओं से भर गया, भावनाओं में बह गया और खुद को फिर संभाल भी लिया.

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