लाइव सिटीज, पटना: बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा है कि राज्य में प्रसव के बाद महिलाओं और छह से 59 माह तक के बच्चों का ‘एनीमिया’ से ग्रसित होना स्वास्थ्य अधिकारियों के लिए चुनौती पैदा कर रहा है. स्वास्थ्य विभाग का भी प्रभार संभाल रहे तेजस्वी ने शुक्रवार को विधानसभा में कहा कि जिलों के अधिकारियों को ‘एनीमिया’ में कमी लाने और नियमित रूप से ‘आयरन-फोलिक एसिड’ की गोलियां लेने के सकारात्मक प्रभाव के बारे में महिलाओं के बीच जागरूकता फैलाने का निर्देश दिया गया है.
उन्होंने कहा, ‘‘राज्य में करीब 63 प्रतिशत महिलाएं और 69 प्रतिशत बच्चे (छह से 59 माह तक के) एनीमिया से ग्रसित हैं. प्रसव बाद 42.6 प्रतिशत महिलाओं का एनीमिया से ग्रसित होना निश्चित तौर पर चिंता का विषय है. बिहार में गर्भवती महिलाओं के एनीमिया से ग्रसित होने की दर 80 प्रतिशत है.”
हाल में विधानसभा के पटल पर रखी गई बिहार आर्थिक सर्वेक्षण (2022-23) रिपोर्ट के मुताबिक, एनीमिया से ग्रसित बच्चों का प्रतिशत 2015-16 के 63.5 प्रतिशत से बढ़कर 2019-20 में 69.4 प्रतिशत हो गया, जो 5.9 प्रतिशत की वृद्धि है. रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के 38 में से तीन जिलों में छह से 59 माह की आयु के बच्चों में एनीमिया की दर अत्यधिक है. इन तीन जिलों में जमुई (81.9 प्रतिशत), नालंदा (80.3 प्रतिशत) और शेखपुरा (80.01 प्रतिशत) शामिल हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि एनीमिया की सबसे कम मौजूदगी वाले तीन जिले गोपालगंज (56.1 प्रतिशत), पूर्वी चंपारण (61 प्रतिशत) और पश्चिमी चंपारण (61.6 प्रतिशत) हैं।
बता दें कि एनीमिया एक ऐसी स्थिति होती है, जिसमें खून में लाल रक्त कोशिकाओं (RBC) या हीमोग्लोबिन का सकेंद्रण सामान्य से कम हो जाता है. हीमोग्लोबिन की जरूरत ऑक्सीजन को उत्तकों तक पहुंचाने के लिए पड़ती है. रक्त में पर्याप्त मात्रा में इसकी मौजूदगी नहीं रहने पर शरीर में उत्तकों तक ऑक्सीजन का प्रवाह करने की रक्त की क्षमता घट जाती है. आयरन हीमोग्लोबिन का एक मुख्य तत्व है और एनीमिया के सबसे सामान्य कारण में पोषक तत्वों, विशेष रूप से लोहे की कमी शामिल है. मलेरिया, तपेदिक (TB) और परजीवी संक्रमण जैसे रोग भी एनीमिया के कारण होते हैं.