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तेजस्वी ने पीएम मोदी के नाम लिखा पत्र, चुनाव आएंगे-जाएंगे लेकिन संविधान और सामाजिक संरचना पर अब और आघात मत कीजिये

लाइव सिटीज, पटना: आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने संविधान और आरक्षण समेत अन्य मुद्दों को लेकर पीएम मोदी को पत्र लिखा है. जिसमें उन्होंने लिखा कि चुनावी मौसम में ही आप बिहार आते हैं. शनिवार को आप फिर बिहार आए और एक बार फिर आपने सभी लोगों को भ्रमित करने की असफल कोशिश की. मैं आपके समक्ष कुछ बातें रखना चाहता हूं

तेजस्वी ने लिखा, ‘प्रधानमंत्री जी, आपको याद होगा कि बिहार से हम सब अगस्त 2021 में आपके पास जातिगत जनगणना की मांग को लेकर आए थे और आदरणीय नीतीश जी की जेडीयू समेत और भी दल मेरी इस मांग के पक्ष में थे. जातिगत जनगणना का प्रस्ताव मेरी ही पहल पर सर्वसम्मति से बिहार विधानसभा में पास कराया गया. हम सभी ने मिलकर आपसे जातिगत जनगणना की मांग की थी लेकिन आपने एकदम हमारी यह मांग ठुकरा दी थी. हम सबको पीड़ा हुई, आपकी संवेदनशून्यता से लेकिन क्या ही कहें.’

आरजेडी नेता ने पत्र में लिखा, ‘जब हम बिहार में सरकार में आए तो हमने सरकार में आते ही राज्य के खर्चे पर जातिगत सर्वेक्षण कराया. उसकी हकीकत से आपको भी अवगत कराया गया. प्रधानमंत्री जी, हमने उस सर्वेक्षण के आलोक में आरक्षण का दायरा 75% तक बढ़ाया और आपसे बार-बार गुजारिश करते रहे और हाथ जोड़कर मांग करते रहे कि इसको संविधान की नौंवी अनुसूची में डालिये लेकिन प्रधानमंत्री जी, मूलतः आप पिछड़ा और दलित विरोधी मानसिकता के हैं.

तेजस्वी यादव ने कहा कि आज आप बिहार आए और यहां आकर के आप जितनी कुछ आधारहीन, तथ्यहीन और झूठी बातें कर सकते थे, आपने की. अब आपसे अपेक्षा नहीं है कि आप अपने पद की गरिमा का ख्याल रख विमर्श को ऊंचा रखेंगे लेकिन आज आप ‘भैंस’, ‘मंगलसूत्र’ के रास्ते होते हुए ‘मुजरा’ तक की शब्दावली पर आ गए. सच कहूं तो हमें आपकी चिंता होती है. क्या इस विशाल हृदय वाले देश के प्रधानमंत्री जी कि भाषा ऐसी होनी चाहिए? आप सोचिए और निर्णय कीजिए मुझे और कुछ नहीं कहना है.

बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम ने कहा कि आपने बाबा साहेब का आरक्षण खत्म करने का एक नायाब तरीका ढूंढा है, क्योंकि संविधान की धारा 15 और धारा 16 के तहत आरक्षण सरकारी नौकरियों में मिलता है. आपने रेलवे, सेना और अन्य विभागों से सरकारी नौकरियां ही खत्म कर दीं तो फिर आरक्षण की अवधारणा कहा जाएगी लेकिन ये गंभीर चिंता आपकी प्राथमिकताओं में है ही नहीं. हम तो आप से कई बार आग्रह कर चुके हैं संसद में, सड़क पर, सदन में, कि आप प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण की व्यवस्था करिए ताकि एक व्यापक बहुजन आबादी दलित समुदाय और अन्य वंचित समूहों को उनको उनका वाजिब संवैधानिक हक मिले.

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