लाइव सिटीज, पटना: सोमवार को उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश कुमार से अपनी राह अलग कर ली. उन्होंने जेडीयू से त्यागपत्र देकर अपनी नई पार्टी राष्ट्रीय लोक जनता दल बना ली है. सोमवार को पार्टी बनाने की घोषणा करते हुए उन्होंने कहा कि अब राष्ट्रीय लोक जनता दल ही असली एलजेपी है. इसके साथ ही उपेंद्र कुशवाहा ने एमएलसी पद से भी इस्तीफा दे दिया है।
उपेंद्र कुशवाहा के नीतीश कुमार के साथ छोड़कर नई पार्टी बनाने और फिर MLC पद से इस्तीफा देने पर बीजेपी उनकी तारीफ कर रही है. बीजेपी उपेंद्र कुशवाहा की मुरीद हो गई है.संजय जायसवाल ने उनकी सराहना करते हुए कहा कि उपेंद्र कुशवाहा विधान पार्षद किसी दल से नहीं बने थे. बल्कि राज्यपाल नामित थे.
उन्होंने कहा की वह चाहते तो अपने पद पर रह सकते थे लेकिन उन्होंने तेजस्वी यादव के सीएम फेस बनाए जाने के बाद पार्टी हित में नीतीश कुमार का विरोध किया और फिर जब उनकी बात नहीं सुनी गई तो उन्होंने जेडीयू छोड़ दिया साथ ही विधान परिषद की सदस्यता भी.
संजय जायसवाल ने शोसल मीडिया पर पोस्ट कर लिखा- उपेंद्र कुशवाहा का समर्थक मैं कभी नहीं रहा.BJP-JDU गठबंधन रहते हुए जब भी मैं नीतीश कुमार जी के बारे में कुछ बोलता था तो उपेंद्र कुशवाहा आगे आकर नीतीश कुमार को बचाने में लग जाते थे.आज स्थितियां बिल्कुल अलग है.मैं आज उपेंद्र कुशवाहा जी की जीवटता मानने के लिए मजबूर हूं.वह विधान पार्षद किसी दल से नहीं बने थे बल्कि राज्यपाल द्वारा नामित थे. उनको इस्तीफा देने की कोई आवश्यकता नहीं थी. राज्यपाल के द्वारा नामित होने के कारण वह अपना 6 वर्षों का कार्यकाल आराम से पूरा कर सकते थे.लेकिन तेजस्वी को नीतीश कुमार के द्वारा मुख्यमंत्री घोषित करने के साथ ही जो विवाद शुरू हुआ था उसकी आज चरम परिणति है।
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने आगे लिखा इस विवाद में उपेंद्र कुशवाहा का बिना आवश्यकता होते हुए भी विधान परिषद से इस्तीफा देना मेरी नजरों में आज वह बड़े व्यक्ति बन गये हैं. जिन्होंने भी 1990 से लेकर 2005 तक संघर्ष में नीतीश कुमार जी का साथ दिया है उनका विकेट गिरना तय है क्योंकि वह सब लालू यादव जी के विरोधी रहे हैं और यह सरकार लालू जी रिमोट से चला रहे हैं.