लाइव सिटीज, पटना: पारस एचएमआरआई हॉस्पिटल पटना के आपातकालीन एंव सर्जरी विभाग के डॉक्टरों की टीम ने एक बार फिर से साबित किया एक जटिल सर्जरी कर मरीज को नया जीवन दान कर दे. बेगूसराय के रहने वाले 45 वर्षीय सुरेंद्र कुमार (बदला हुआ नाम) ने दांत में लगाने वाली डेंचर (कृत्रिम दांत) गलती से निगल ली थी. वह उनके खाने के रास्ते में फंस गया. उन्हें असहनीय पीड़ा हो रही थी. अपने ही शहर के क्लीनिक में उन्होंने इसका इलाज कराया वहां एंडोस्कोपी से इसे निकालने की कोशिश की गई लेकिन सफल नहीं हुए.
जब जान मुश्किल में पड़ गई तो इमरजेंसी में वह पारस एचएमआरआई हॉस्पिटल, पटना पहुंचे. इस दौरान सात-आठ दिन का समय बीत चुका था और मरीज काफी गंभीर हो चुका था. यहां जब उनका एंडोस्कोपी और सीटी स्कैन किया गया तो पता चला की डेंचर खाने के रास्ते को 10 सेंटीमीटर फारकर डेंचर उससे निकलकर छाती में प्रवेश कर गया था. वह फेफड़े और दिल के बीच मुख्य नस जो हृदय से निकलती है, उसमें फंस गया था. उनकी बायीं तरफ की छाती में पस भर गया था. इसे निकालना बहुत बड़ी चुनौती हो गई थी. डेंचर का मेटालिक हूक निकालने में अगल-बगल की भी नस क्षतिग्रस्त हो सकती थी. पारस एचएमआरआई हॉस्पिटल में डॉक्टर ए ए हई (डायरेक्टर- जनरल सर्जरी) डॉक्टर मुहामिद हई ( जनरल एंव लैप्रोस्कोपिक सर्जन)डॉ नितिन कुमार ( एडवांस लैप्रोस्कोपिक गैस्ट्रोसर्जन) डॉक्टर अरविन्द गोयल (डायरेक्टर सी टी वी एस) डॉ श्रीनारायण, डाॅ प्रशांत कुमार, डाॅ प्रकाश सिंहा और डॉक्टर आकांक्षा वाजपेई (सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट)की टीम ने यह ऑपरेशन किया.
पहले तो थोरैकोस्कोपी विधि से छाती में जमे पस को निकालकर उसे साफ किया. उसके बाद बायीं तरफ से मरीज की गर्दन खोलकर अंदर पहुंचे और वहां से उस डेंचर को सुरक्षित बाहर निकाला. यहां गौर करने वाली बात यह रही कि इस प्रक्रिया में छाती में चीरा नहीं लगाया गया, जिससे मरीज को और ज्यादा मुश्किल हो सकती थी. अब सुरेंद्र कुमार पुरी तरह ठीक है.
इस संबंध में सर्जरी विभाग के निदेशक डॉ एए हई ने कहा कि मरीज की इसलिए सिर्फ जान बच गई क्योंकि पारस एचएमआरआई हॉस्पिटल में मल्टी स्पेशलिटी के डॉक्टर मौजूद हैं और आपातकाल में भी वो उपलब्ध हैं। डॉ हई ने कहा कि लूज डेंचर इस्तेमाल न करें और रात में सोने से पहले मुंह से निकाल कर बाहर रख दिया करें.
फर्स्ट 60 मिनट फ्री सेवा के बारे में पारस हेल्थकेयर ईस्ट के रीजनल डाइरेक्टर डॉ. सुहास अराध्ये ने कहा कि, “इस सेवा का मकसद गंभीर से गंभीर मरीजों के इलाज के लिए उसके परिजन को सोचने का समय देना है। इस एक घंटे के दौरान मरीज को स्थिर रखने में पारस एचएमआरआई हॉस्पिटल अपनी ओर से पूरी कोशिश करता है. हमारा मकसद बिहार में स्वास्थ्य सुविधा को बहुत आगे ले जाना है और लोगों में आश्वासन दिलाना है कि अब आपको हर ईलाज बिहार में ही उपलब्ध हो.
पारस एचएमआरआई अस्पताल, पटना बिहार और झारखंड का पहला कॉर्पोरेट अस्पताल है। 350 बिस्तरों वाले पारस एचएमआरआई अस्पताल में एक ही स्थान पर सभी चिकित्सा सुविधाएं हैं. हमारे पास एक आपातकालीन सुविधा, तृतीयक और चतुर्धातुक देखभाल, उच्च योग्य और अनुभवी डॉक्टरों के साथ अत्याधुनिक चिकित्सा केंद्र है. पारस इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर केयर बिहार में अपनी विशेषज्ञता, बुनियादी ढांचे और व्यापक कैंसर देखभाल प्रदान करने के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल के लिए प्रसिद्ध है.