लाइव सिटीज, पटना: सदन में विपक्ष ने विशेष दर्जे की मांग और आरक्षण के मुद्दे पर जमकर हंगामा किया। इसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी सीट पर खड़े हुए और उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और कांग्रेस के विधायकों को खूब कोसा। सीएम नीतीश ने विपक्षी सदस्यों से कहा कि हम तो सुनाएंगे ही। सब काम हमने ही किया। उन्होंने कहा कि वे 2010 से बिहार को अगला विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के लिए आंदोलन कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि वे 2010 से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के लिए आंदोलन कर रहे थे। उस समय केंद्र में कांग्रेस गठबंधन की सरकार थी, लेकिन उन्होंने स्पेशल स्टेटस नहीं दिया। सीएम ने यह भी स्पष्ट किया कि आरक्षण के मुद्दे पर पटना हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सरकार सुप्रीम कोर्ट गई है। साथ ही इसे 9वीं अनुसूची में डालने की मांग करते हुए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भी भेजा गया है।
विधानसभा की बुधवार को कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी विधायक वेल में आ गए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। इसके बाद सीएम नीतीश ने बीच में उठकर उन्हें शांत रहने के लिए कहने लगे। हंगामा फिर भी जारी रहा तो सीएम भी भड़क गए।
उन्होंने नारेबाजी कर रहे आरजेडी और कांग्रेस के विधायकों से कहा कि वे बैठकर बात सुनेंगे तो अच्छा रहेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने सर्वदलीय बैठव बुलाकर जाति गणना का फैसला लिया था। उस समय सभी दलों ने अपनी सहमति जताई थी। जाति गणना कराई गई तो उसके बाद आबादी के हिसाब से आरक्षण का दायरा बटाकर 75 फीसदी कर दिया गया।
सीएम नीतीश ने कहा कि जातिगत सर्वे में हमने हर परिवार की आर्थिक स्थिति के बारे में जानकारी ली। इससे पता चला कि 94 लाख परिवार जिसमें सवर्ण, दलित, पिछड़ा, अति पिछड़ा, हिंदू और मुस्लिम सभी शामिल हैं, वे गरीबी के दायरे में आते हैं। उन्हें सरकार ने मुख्यधारा में लाने के लिए दो-दो लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की योजना शुरू की।