लोकसभा चुनाव 2024(Lok Sabha Election 2024) में उतरी पूर्वी दिल्ली से कांग्रेस ने कन्हैया कुमार को प्रत्याशी बनाया है. जहां उनका मुकाबला भाजपा के दिग्गज मनोज तिवारी से होगा. ऐसा अनुमान लगाया जा रहा था कि कन्हैया कुमार को बिहार के किसी लोक सभा सीट से उम्मीदवार बनाया जाएगा. लेकिन पहले उनकी सीट बेगूसराय को गठबंधन के सहयोगी सीपीआई के खाते में डाल दिया गया. जिसके बाद कयास लगाए जा रहे थे कि उन्हें कांग्रेस की कोटे की सीट महाराजगंज से उम्मीदवार बनाया जाएगा. लेकिन अब बिहार की बजाय दिल्ली से उनको प्रत्याशी बनाया गया है. तो चलिए जानते हैं कि क्यों कन्हैया को बिहार में जगह नहीं मिली है? और कौन है जो कन्हैया को बिहार की राजनीति में आने से रोक रहा है.
कन्हैया कुमार कौन हैं?
कन्हैया कुमार का जन्म बिहार के बेगूसराय जिला में हुआ था. वे अपने स्नातक के दिनों में ही छात्र राजनीति में सक्रिय हो गए थे. अपने छात्र जीवन में ही कन्हैया ने ऑल इंडिया स्टूडेंट फेडरेशन (ASIF) का हाथ थाम लिया था. पटना में नालंदा विश्वविद्यालय में एमए की पढ़ाई पूरा करने के बाद, आगे की पढ़ाई पीएचडी करने के लिए दिल्ली का रूख किया. 2011 में देश जवाहरलाल नेहरू विश्वविधालय में अफ्रीकी अध्ययन में उन्होंने जेएनयू प्रवेश परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया था.विश्वविधालय में वे छात्र राजनीति में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेने लगे तथा आगे चल कर वे जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष बने.
जब विवादों में नाम आया
9 फरवरी 2016 को जेएनयू में कश्मीरी अलगाववादी अफजल गुरु की फांसी के खिलाफ छात्रों द्वारा एक सभा में कथित तौर पर राष्ट्रविरोधी नारे लगाने का आरोप लगा. उस मामले में कन्हैया सहित कई छात्रों पर देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया था. जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया. हालांकि कन्हैया को 2 मार्च 2016 को कोर्ट से अंतरिम जमानत मिल गई. कन्हैया कुमार की अगवानी में ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ और ‘अफजल हम शर्मिंदा हैं, तेरे कातिल जिंदा हैं’ जैसे नारे लगाने के आरोप लगे थे हालांकि कोर्ट ने इस मामले में सबूतों के अभाव में कन्हैया कुमार को बरी कर दिया.
बेगूसराय से चुनाव लड़ चुके हैं कन्हैया
जल्द ही कन्हैया कुमार ने सक्रिय राजनीति में कदम रखा और सीपाआई के टिकट पर बेगूसराय से लोक सभा के चुनाव में ताल ठोक दिए. उनके सामने भाजपा के फायर ब्रांड नेता गिरिराज सिंह थे चुनाव में कन्हैया कुमार को करीब 4 लाख मतों के अंतर से शकस्त झेलनी पड़ी थी.
सीपीआई छोड़ कांग्रेस के हाथ पर भरोसा जताया
चुनाव में हार के बाद कन्हैया कुमार ने कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर लिया. कांग्रेस में आने के बाद कन्हैया कुमार काफी सक्रिय नजर आने लगे उन्हें राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में सबसे ज्यादा सक्रिय देखा जाने लगा.
सियासी गलियारों में चर्चा होने लगी कि कन्हैया कुमार कांग्रेस की टिकट पर बिहार से लोक सभा का चुनाव लड़ेंगे. लेकिन गठबंधन में उन्हें यह सीट नहीं मिली. फिर यह भी चर्चा होने लगी कि महराजगंज की सीट से उन्हें उम्मीदवार बनया जा सकता है लेकिन कांग्रेस ने उन्हें दिल्ली से चुनाव लड़ाने का निर्णय किया है.
बिहार की राजनीति में कन्हैया को कौन रोक रहा है
राजनीतिक गलियारों में चर्चा होने लगी है कि क्यों बिहार से कन्हैया कुमार चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. कौन है जो उन्हें रोक रहा है.. इस सवाल के जवाब के लिए हमने बिहार के सीनियर पत्रकार रवि उपाध्याय से बात की. उनका कहना था कि
“बिहार की राजनीति में इस समय कई युवा चेहरे हैं जो अपनी पहचान को स्थापित करना चाहते हैं. तेजस्वी यादव, चिराग पासवान और सम्राट चौधरी मुख्य रूप से राज्य की राजनीति के प्रमुख चेहरा हैं. इन सभी की अपनी राजनीतिक पहचान है. कई लोगों को तो विरासत में मिली राजनीति को आगे बढ़ाने का मौका है. ऐसे में कन्हैया का कोई राजनीतिक विरासत नहीं है. लेकिन उनमें संभावना बहुत है. अब ऐसे में कौन चाहेगा कि किसी की बनी बनाई राजनीतिक जमीन में कोई सेंध लगाए. मुख्य रूप से विपक्ष के नेता तो और नहीं चाहेंगे कि वे बिहार की सक्रिय राजनीति में कदम रखें.”
रवि उपाध्याय, सीनियर पत्रकार, बिहार
कन्हैया कुमार, मनोज तिवारी को कितना टक्कर दे पाते हैं ये तो चुनाव के बाद ही पता चलेगा.. लेकिन यह तो तय है कि मुकाबला तो दिलचस्प होने वाला है.