लाइव सिटीज, बेगुसराय: रामचरितमानस को लेकर दिए विवादत बयान पर बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर अभी भी कायम है. उन्होंने अपने बयान पर अडिग रहते हुए कहा कि रामचरितमानस में कई अच्छी बाते भी हैं लेकिन जो गलत है उस पर आवाज उठाता रहूंगा.उन्होंने कहा, ‘जो मेरी जीभ काटना चाहते हैं, मुझे जेल भिजवाना चाहते हैं वो हमसे तर्क करें. ये नागपुर से चलने वाला छद्म हिंदूवाद नहीं चलेगा.’
लेकिन रामचरितमानस पर विवादित बयान के बाद शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर मुश्किलों में घिरते नजर आ रहे हैं. बेगूसराय में अधिवक्ता अमरेंद्र कुमार अमर ने शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के खिलाफ परिवाद पत्र दायर किया है. बता दें कि शिक्षा मंत्री ने रामचरितमानस को समाज को बांटने वाला ग्रंथ बताया था. जिसके बाद विवाद शुरू हो गया. देश भर से उनके बयान पर प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गईं. वहीं जेडीयू कोटे से मंत्री अशोक चौधरी ने भी शिक्षा मंत्री की नसीहत दी है कि उन्हें अपने बयान को वापस ले लेना चाहिए.
11 जनवरी को नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में संबोधित करते हुए शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने रामचरितमानस को नफरत फैलाने वाला ग्रंथ कहा था. उन्होंने कहा कि ये ग्रंथ समाज में दलितों, पिछड़ों और महिलाओं को पढ़ाई से रोकता है. उन्हें उनके हक को दिलाने से रोकता है.
रामचरितमानस ग्रंथ समाज में नफरत फैलाने वाला ग्रंथ है. यह समाज में दलितों, पिछड़ों और महिलाओं को पढ़ाई से रोकता है. उन्हें उनका हक दिलाने से रोकता है. मनुस्मृति ने समाज में नफरत का बीज बोया. फिर उसके बाद रामचरितमानस ने समाज में नफरत पैदा की. और आज के समय गुरु गोलवलकर की विचार समाज में नफरत फैला रही है.