लाइव सिटीज, पटना: भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री ऋतुराज सिन्हा ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री द्वारा निजी क्षेत्र के ग्रुप “C” और “D” में 100 फीसदी स्थानीय आरक्षण पर टिपण्णी करते हुए कहा की भारत में दो तरह के राज्य हैं, एक राज्य, जहां टैलेंट शॉर्टेज है यानी की कुशल कारीगरों की कमी है दूसरे वो राज्य हैं जो टैलेंट सप्लायर यानी कुशल कामगारों का निर्यातक है| बिहार एक टैलेंट सप्लायर राज्य है, और कर्नाटक जैसे राज्य टैलेंट शॉर्टेज राज्य है| जहां पर वोट बैंक की राजनीति को देखते हुए प्रस्ताव पारित कर दिया कि प्राइवेट सेक्टर में भी हम 100 फीसदी स्थानीय आरक्षण करेंगे|
संविधान के आर्टिकल का रिफरेंस देते हुए सिन्हा ने कहा की भारतीय संविधान के अनुच्छेद 1(1) में कहा गया है, “भारत, जो कि भारत है, राज्यों का एक संघ होगा।“ यहां राज्य के आधार पर विभाजन करना न केवल अनैतिक है और असंवैधानिक भी है|
सिन्हा ने कहा की ये इस तरह के कार्य सीधे-सीधे आम बिहारी युवाओं को टारगेट करने के लिए किया जा रहा है और यह सिर्फ बिहारी मजदूर, सफाई कर्मचारी, ड्राइवर की बात नहीं है| आज बेंगलुरु शहर में लाखों लाख आईटी सेक्टर के कर्मचारी बिहार से जाते हैं। इसलिए इस तरह की घोषणा न सिर्फ गलत है बल्कि असंवैधानिक भी है। इस तरह के प्रयास पहले भी महाराष्ट्र, झारखंड एवं अन्य राज्यों ने किया था| परंतु माननीय सर्वोच्च न्यायलय ने एक केस में उसको अवैध भी घोषित किया था।
उन्होंने कहा कि आज ये आवश्यक है की बिहार सरकार भी इस तरह के बेबुनियाद विषयों के विरोध में बुलंदी से आवाज़ उठाएं|
उन्होंने कहा कि बिहार के युवा लाखों लाख रुपया देकर बेंगलुरु और कर्नाटक के इंजीनियरिंग कॉलेजों में नामांकन लेकर वहां पढ़ने के लिए जातें है| वहां जब कोई विद्यार्थी जाता है, तो वहां पढने, रहने और अन्य चीजों पर लाखों- हजारों रुपया खर्च करता है| इसके अलावा उसके परिजन जब वहां जातें है तो वो भी पैसे खर्च करते है| तो जब हम पैसा वहां लगाते हैं, पैसा वहां कर्नाटक में खर्च करते हैं तो उसपर तो कोई आपत्ति नहीं है लेकिन पैसा खर्च करने के बाद वहां जब कमाने के लिए बिहारी लगता है तो वोट बैंक की राजनीती करने वाले रहनुमाओं को आपति होती है | इसलिए मुझे ऐसे लोगों से आपति भी है और मैं पुरजोर तरीके से ऐसे किसी भी नियम का विरोध करता हूँ जो बिहार के युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करे|