लाइव सिटीज, सेंट्रल डेस्क: खरना के बाद छठ महापर्व का आज तीसरा दिन है.छठ व्रतियों द्वारा रविवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा.अर्घ्य से पहले छठ व्रती घाट पर जाने की तैयारी में जुटे हैं.अर्घ्य के लिए अन्य फलों के साथ देसी घी से बने ठेकुआ का खास महत्व है.
भगवान भास्कर को फलों के अलावा शुद्ध घी से बने ठेकुआ अर्घ्य दिया जाता है.जिसके लिए ठेकुआ बनाने का कार्य महिलाओं के द्वारा किया जा रहा है.रविवार की सुबह से ही महिला ठेकुआ बनाने के कार्यों में जुटी हुई हैं.ठेकुआ शुद्ध घी के अलावा रिफाइन तेल में भी तैयार किया जाता है। ठेकुआ गेहूं के आटा, गुड, चीनी आदि सामग्री से तैयार किया जाता है। काफी धीमी धीमी आंच में ठेकुआ को तैयार किया जाता है.ठेकुआ बनाने में चार से पांच घंटे के समय लगता है.ठेकुआ को स्वादिष्ट बनाने को लेकर ड्राई फ्रूट भी मिलाया जाता है.जिसमें काजू इलायची किसमिस नारियर आदि सामग्री को आटे में मिलाकर बनाया जाता है.
ठेकुआ बनाने में चार से पांच घंटे के समय लगता है.ठेकुआ को स्वादिष्ट बनाने को लेकर ड्राई फ्रूट भी मिलाया जाता है.जिसमें काजू इलायची किसमिस नारियर आदि सामग्री को आटे में मिलाकर बनाया जाता है. चार्य लाल भूषण मिश्र ने कहा कि छठ पर्व में ठेकुआ और कसार का काफी महत्व है.ठेकुआ और कसार से भगवान भास्कर का अर्घ्य दिया जाता है.क्योंकि छठ पर्व में नया अनाज का इस्तेमाल किया जाता है.ठेकुआ तो गेहूं के आटे से बनाया जाता है.लेकिन कसार चावल के आटे से तैयार किया जाता है.कसार बनाने का चावल पूरी तरह नया अनाज होता है.
छठ के प्रसाद में गेहूं के आटे से बना ठेकुआ प्रमुख प्रसाद होता है.इसके बिना छठ पूजा अधूरी मानी जाती है.इसके अलावा चावल के आटे से बना लड्डू जिसे स्थानीय भाषा में कसार या लडुआ कहते हैं के साथ विशेष प्रकार का सांचा (बताशा) सुथनी, नारियल, गन्ना, डाभ नींबू, हल्दी और अदरक पत्ते के साथ, मूली, गन्ना ,पान सूपड़ी, अलता, सिंघड़ा या पानी फल के साथ मौसमी फल आदि के साथ परिवार वालों के लिये बद्धी को बांस या पीतल के सूप में सजा के अर्घ्य दिया जाता है.