लाइव सिटीज, पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार विशेष राज्य के दर्ज की मांग कर रहे हैं.वहीं बुधवार को बिहार कैबिनेट की बैठक में इसको लेकर प्रस्ताव भी पारित किया गया है. कैबिनेट की बैठक में कुल 40 प्रस्तावों पर मुहर लगी है. 65 % नौकरी में आरक्षण और शिक्षक संस्थानों में नामांकन में आरक्षण से संबंधित दो प्रस्ताव को 9वीं अनुसूची में शामिल करने के लिये कैबिनेट में केंद्र से अनुशंसा किया गया है. वहीं मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया X पर एक लंबा चौड़ा पोस्ट करते हुए बिहार को विशेष राज्य के दर्जा की मांग फिर से उठायी है और इसके पीछे का कारण भी बताया है. है.
नीतीश कुमार ने लिखा है कि देश में पहली बार बिहार में जाति आधारित गणना का काम कराया गया है. जाति आधारित गणना के सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक स्थिति के आंकड़ों के आधार पर अनुसूचित जाति के लिये आरक्षण सीमा को 16 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति के लिये आरक्षण की सीमा को 1 प्रतिशत से बढ़ाकर 2 प्रतिशत कर दिया गया है.
वहीं अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लिये आरक्षण की सीमा को 18 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत और पिछड़ा वर्ग के लिये आरक्षण की सीमा को 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया है अर्थात सामाजिक रूप से कमजोर तबकों के लिये आरक्षण सीमा को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दिया गया है. सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिये 10 प्रतिशत आरक्षण पूर्ववत लागू रहेगा.
बिहारकैबिनेट के अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ ने कैबिनेट में पास हुए दो महत्वपूर्ण प्रस्तावों की जानकारी दी. कैबिनेट में केंद्र सरकार को अनुशंसा भेजने का प्रस्ताव पास करने के साथ ही आरक्षण की सीमा 65% करने की भी मांग की गई संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करने की अनुशंसा की गई है ताकि इसे कोर्ट में चुनौती नहीं दिया जा सके.