लाइव सिटीज, पटना: बिहार में प्रधानाचार्य की बहाली को लेकर सियासत शुरू है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बीपीएससी की ओर से रिजल्ट जारी करने के बाद क्रेडिट लेने की कोशिश की. रविवार 3 नवंबर को जल संसाधन मंत्री विजय चौधरी ने इसका खंडन किया. विजय चौधरी ने तेजस्वी यादव का बिना नाम लिए बिना कहा कि जब यह फैसला लिया गया था उस समय एनडीए की सरकार थी. विजय चौधरी ने कहा कि जब यह फैसला लिया गया था उस वक्त वो ही शिक्षा मंत्री थे.
विजय चौधरी ने कहा कि महागठबंधन की सरकार अगस्त 2022 में बनी थी जबकि फैसला अगस्त 2021 में ही लिया गया था. मार्च 2022 में तो विज्ञापन भी पहले चरण का निकल गया था. भ्रम फैला रहे हैं और चोर दरवाजे से क्रेडिट लेने की कोशिश कर रहे हैं.
तेजस्वी के बयान पर विजय चौधरी ने कहा, बिहार सरकार की उपलब्धियों पर भी विपक्ष भ्रम फैला रहा है. किसी विपक्षी नेता में यह कहने की हिम्मत नहीं है कि बिहार में विकास का काम नहीं हुआ है. अब जब कोई दाल नहीं गल रही है तो लोग चोर दरवाजे से घुसकर क्रेडिट लेने की कोशिश कर रहे हैं. जबकि सबको पता है कि बहाली कौन करवा रहा है? जब कुछ नहीं सूझ रहा तब वह बेवजह क्रेडिट लेने की होड़ में लगे हुए हैं, जनता सब समझती है.
मंत्री विजय चौधरी ने कहा, फरवरी 2021 में शिक्षा मंत्री का प्रभार मुझे दिया गया था. आज जो प्रधानाध्यापक की बहाली हुई है यह फैसला अगस्त 2021 में ही हुआ था, जबकि आज लोग यह दावा कर रहे हैं कि उनकी वजह से बहाली हुई है. इससे साफ समझा जा सकता है कि वह कितना झूठ बोल रहे हैं. इस बार जो बहाली हुई उसका पहले चरण का विज्ञापन मार्च 2022 में ही हुआ था. आज जो बहाली हुई है प्रधानाध्यापक की, उसी का दूसरा चरण है.
मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि हम जो भी दावा कर रहे हैं उसका दस्तावेजी प्रमाण दे रहे हैं और दूसरे लोग इस मामले में झूठा प्रचार कर क्रेडिट ले रहे हैं. उनसे जरा यह सवाल पूछिए कि जो बात बोल रहे हैं उसका कोई आधार है. नीतीश कुमार जब सरकार चलाते हैं तो उन्हीं का फैसला उन्हीं की मर्जी चलती है. नीतीश कुमार जो फैसला लेते हैं वही फैसला लागू होता है. ऐसे में अगर बिहार में कोई बड़ा फैसला होता है तो क्रेडिट भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ही मिलेगा.