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दलितों के घर टूटे तो सांसद पप्पू यादव बने उनकी ढाल: रहुई में पीड़ित परिवारों से मिले, 10-10 हजार की आर्थिक मदद दी

लाइव सिटीज, नालंदा: नालंदा ज़िले के रहुई थाना क्षेत्र अंतर्गत शिवनंदननगर गाँव में दर्जनों दलित परिवारों के घर ध्वस्त किए जाने की घटना ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया है। यहाँ करीबआज पटना स्थित पार्टी कैंप कार्यालय में महान समाज सुधारक, शिक्षाविद् एवं भारत में सामाजिक जागरण के अग्रदूत महात्मा ज्योतिबा फुले की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम में पार्टी के प्रभारी प्रदेश अध्यक्ष मदन चौधरी 65 वर्षों से रह रहे गरीब दलित परिवारों को बिना किसी पुनर्वास व्यवस्था के 5 दिसंबर तक 150 परिवारों को हटाने का अल्टीमेटम दिया गया है। इस अमानवीय कार्रवाई के विरोध में पूर्णिया से माननीय सांसद पप्पू यादव पीड़ित परिवारों से मिलने नालंदा पहुँचे और सरकार की इस कार्रवाई को “हिटलर और तुगलक से भी आगे की तानाशाही” करार दिया।

सांसद पप्पू यादव ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि बिना वैकल्पिक व्यवस्था के किसी भी गरीब का घर तोड़ना घोर अन्याय है। उन्होंने मांग की कि सरकार पहले इसी गाँव में दलितों को पाँच डिसमिल जमीन और घर बनाने के लिए आर्थिक सहायता दे, उसके बाद ही कोई कार्रवाई हो। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि ऐसा नहीं हुआ तो वे खुद बुलडोजर के सामने खड़े होंगे और इस पूरे मामले को सदन के पटल पर उठाएंगे।

पीड़ित परिवारों से मुलाकात के दौरान सांसद पप्पू यादव ने प्रत्येक परिवार की समस्याएँ ध्यानपूर्वक सुनीं और उन्हें हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया। इस मौके पर उन्होंने दर्जनों पीड़ित परिवारों को अपनी ओर से 10-10 हजार रुपये की तात्कालिक आर्थिक सहायता प्रदान की। साथ ही उन्होंने यह घोषणा भी की कि इन परिवारों की बच्चियों के विवाह के समय भी वे सहायता राशि उपलब्ध कराएंगे। उनके इस कदम से पीड़ित परिवारों के चेहरों पर थोड़ी राहत और उम्मीद की झलक दिखाई दी।

इसके बाद सांसद पप्पू यादव ने नालंदा जिला प्रशासन और डीएम से तत्काल बातचीत कर इस मामले में न्यायोचित समाधान की मांग की। उन्होंने साफ कहा कि किसी भी हाल में दलित परिवारों के साथ अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने प्रशासन से पुनर्वास की ठोस योजना बनाने, अस्थायी आवास, राशन, पानी और बिजली की व्यवस्था सुनिश्चित करने की मांग की।

इस दौरान स्थानीय युवा नेता दानवीर ने कहा कि सरकार द्वारा बिना किसी वैकल्पिक व्यवस्था के गरीब दलित परिवारों के घरों को तोड़ना अमानवीय और असंवैधानिक है।

उन्होंने कहा, “पहले सरकार यह सुनिश्चित करे कि इन परिवारों के सिर पर छत हो, उनके रहने की स्थायी व्यवस्था हो, उसके बाद ही किसी तरह की कार्रवाई करे। वर्षों से बसे लोगों को यूं ही उजाड़ देना गरीबों के साथ सबसे बड़ा अन्याय है।” उन्होंने चेतावनी दी कि अगर प्रशासन ने जल्द पुनर्वास की ठोस व्यवस्था नहीं की तो जन आंदोलन तेज किया जाएगा और हर स्तर पर पीड़ितों की आवाज बुलंद की जाएगी।

मौके पर सांसद ने दलित समुदाय के लोगों के साथ जमीन पर बैठकर भोजन भी ग्रहण किया, जिससे उनका दर्द और संघर्ष साझा किया। मौके पर राकेश यादव, मनीष यादव, मुकेश पासवान, श्रवण कुमार,रंजन यादव, बालिमिकी पासवान बादल राज, विक्की यादव सहित सैकड़ों समर्थक मौजूद रहे। पूरे घटनाक्रम ने स्थानीय स्तर पर बड़ा राजनीतिक और सामाजिक संदेश दिया है कि पीड़ितों की आवाज़ अब न सिर्फ सड़क पर, बल्कि संसद तक गूंजेगी।

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