लाइव सिटीज पटना: जेडीयू में जारी घमासान के बीच जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने आज फिर सीएम नीतीश कुमार पर कई गंभीर आरोप लगाए. उपेंद्र कुशवाहा ने इस बार जदयू में हिस्सेदारी से लेकर संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष व एमएलसी पर खुलकर अपनी बात रखी. जेडीयू नेता उपेंद्र कुशवाहा ने एक बार फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि वे भले ही जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष हैं लेकिन उनके पास पार्टी में कोई अधिकार नहीं है. नीतीश कुमार और ललन सिंह ने उन्हें पार्लियामेंट्री बोर्ड का अध्यक्ष बनाकर झुनझुना पकड़ा दिया और एमएलसी यानी बिहार विधान परिषद का सदस्य बनाकर लॉलीपॉप थमा दिया.
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि मुझे तो पार्लियामेंट्री बोर्ड का सदस्य भी नियुक्त नहीं किया गया है. उम्मीदवार के चयन में मेरी भूमिका हो सकती थी लेकिन वह भी नहीं मिली. कुशवाहा ने कहा कि मैंने जरूर कई सुझाव दिए लेकिन उस पर अमल नहीं किया गया. यदि गलत हो तो राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह खंडन कर सकते हैं. मैंने सुझाव दिया कि अति पिछड़ा समाज से राज्यसभा या विधान परिषद भेज दें, जिससे इस वर्ग में मैसेज जाए लेकिन मेरी बात नहीं मानी गई. उन्होंने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा कोई सरकारी नौकरी नहीं कर रहा है, उपेंद्र कुशवाहा राजनीति कर रहा है. एमएलसी बनना किसी के लिए सरकारी नौकरी नहीं होती है. मैं अगर केंद्रीय मंत्री पद छोड़ सकता हूं तो MLC का भी पद त्याग सकता हूं.
उपेंद्र कुशवाहा यहीं नहीं रुके. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि ‘अति पिछड़ा समाज के लोगों पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भरोसा नहीं है, तो जिस पर भरोसा है उसी एक व्यक्ति को लाकर राज्यसभा की सदस्यता दे दें. इससे उन्हें फायदा होगा. पार्टी चाहे तो मुझसे सभी पद ले ले. मुझे इसका कोई लालच नहीं है. मुझे कोई फैसले लेने का अधिकार नहीं दिया. मैंने जब-जब सुझाव दिए उसे पार्टी ने कभी नहीं माना. पार्टी ने मुझे कभी कोई अधिकार नहीं दिया.
उपेंद्र कुशवाहा ने बोलते हुए आगे ये भी बताया कि उन्हें हिस्से में क्या चाहिए. कुशवाहा ने कहा कि ‘हिस्से का मतलब मैं आपको बताता हूं. जो हिस्सा कभी लालू जी ने नीतीश जी को नहीं दिया था. 1994 में 12 फरवरी को पटना के गांधी मैदान में आयोजित एक रैली में नीतीश कुमार ने जिस हिस्सेदारी की बात की थी. जो हिस्सा उन्होंने लालू प्रसाद यादव से मांगा था, वही हिस्सा उपेंद्र कुशवाहा मांग रहा है. बगैर वो हिस्सा लिए मैं नहीं जाउंगा.
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि बिना हिस्सा लिए पार्टी छोड़कर नहीं जाऊंगा, चाहे तो मेरे साथ पद ले लें. मुझे किसी पद का लालच नहीं है. मेरी मुख्यमंत्री से कोई नाराजगी नहीं है. किसी से कोई तल्खी नहीं. हमारा फोकस तो पार्टी है और पार्टी को आगे बढ़ाना है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को कुछ लोग बरगला रहे हैं. वो अपनी मर्जी से चीजें करने लगे तो अपने आप सब ठीक हो जाएगा. पार्लियामेंट्री बोर्ड का अध्यक्ष बनाया, क्या ये इज्जत दी गई. मुझे लगा पार्टी कार्यकर्ताओं के हितों की रक्षा कर पाएंगे. बात में पता चला कि पार्लियामेंट्री बोर्ड का अध्यक्ष बनाना एक झुनझुना थमाना जैसा था। पार्लियामेंट्री बोर्ड का अध्यक्ष होने के बाद भी मुझसे कभी कोई सुझाव नहीं मांगा गया.
उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि जब हमें जेडीयू संसदीय बोर्ड का जब अध्यक्ष बनाया गया था तो हमको भी लगता था कि पार्लियामेंट्री बोर्ड का जो दायित्व होता है उन दायित्वों को निर्वहन करने का अवसर मिलेगा. हम पार्टी के कार्यकर्ताओं के हितों की रक्षा कर पाएंगे. बाद में पता चला कि बोर्ड का जो अध्यक्ष मुझे बनाया गया यह सीधे तौर पर मेरे हाथ में एक झुनझुना थमा दिया गया. हम तो पार्लियामेंट्री बोर्ड के अध्यक्ष बन गए, उसके बाद सदस्यों के मनोनयन भी हम नहीं कर सकते थे. ऐसे में झुनझुना नहीं तो और क्या मिला ? संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष से आज तक कोई राय नहीं मांगी गई. टिकट बंटवारे में बोर्ड अद्यक्ष की बड़ी भूमिका होती है. लेकिन किसी भी समय हमशे राय नहीं ली गई.