लाइव सिटीज, पटना: बिहार के ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर के कहा है कि पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने तीन मुद्दों पर माननीय नेता, बिहार के यशश्वी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी की मंशा पर सवाल खड़े किये हैं। यादव ने जाति आधारित गणना के बाद आरक्षण की सीमा बढ़ाने पर राज्य सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किये हैं, दूसरा उनका मानना है कि प्रदेश में अपराध अनियंत्रित हो गया है और तीसरा, तेजस्वी ने केंद्र द्वारा विशेष राज्य के दर्जा की मांग को ढकने हेतु विशेष पैकेज देने की बात कही है जो यादव का मानना है कि उनके कार्यकाल के समय में पास किया गया था। चौधरी ने कहा कि तेजस्वी यादव के प्रेस वार्ता के बाद ये जानकारी हुयी है।
ग्रामीण कार्य मंत्री ने कहा कि जहाँ तक जाति आधारित गणना का सवाल है, इसपर माननीय नेता नीतीश कुमार जी बार-बार कहते आ रहे हैं कि जब देश के प्रधानमंत्री वी.पी.सिंह जी थे उस वक़्त भारत के पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह जी ने बुलाकर माननीय नेता के मन में जाति आधारित गणना का विचार अंकुरित किया था जिसके बाद माननीय नेता ने वी.पी. सिंह एवं तत्कालीन सभी बड़े समाजवादी नेताओं से इस विषय पर मंतव्य करके इस बात को आगे बढ़ाया और हमेशा इसकी चर्चा करते रहे। चौधरी ने कहा कि लगातार 15 वर्षों तक श्री लालू प्रसाद यादव जी की सरकार बिहार में थी लेकिन क्या इन 15 वर्षों में जाति आधारित गणना करने के लिए भारत सरकार पर दबाव बनाने का काम या फिर सर्वदलीय बैठक करने का काम लालू जी की सरकार ने किया?
चौधरी ने बताया कि माननीय नेता नीतीश कुमार के नेतृत्व में दो-दो बार प्रधानमंत्री जी के यहाँ सर्वदलीय बैठक हुयी। उन्होंने कहा कि जनता को ये भी बताना चाहिए कि जाति आधारित गणना नीतीश जी का ब्रेन-चाइल्ड है जिसको ज्ञानी जैल सिंह जी ने उनके मन में अंकुरित किया। माननीय नेता की सोच है कि जाति आधारित गणना लोगों के कल्याण के लिए है। क्षेत्रफल के हिसाब से यह सबसे अधिक जनसंख्या घनत्व वाला प्रदेश है जहां समाज के हर वर्ग के विकास के लिए, जो गरीब हैं, अभिवंचित और दलित हैं, ऐसे सवर्ण भी जो आर्थिक रूप से पिछड़े हैं, उनके लिए इस प्रकार की जाति आधारित गणना करना अति आवश्यक है ताकि सरकार इस बात का निर्णय ले सके कि भविष्य में किन-किन योजनाओं के निर्माण से लोगों के हित में कार्य किया जा सके।
चौधरी ने आगे कहा कि तेजस्वी जी के मानस पटल से शायद ये बात निकल गयी है कि 2005 में माननीय नेता नीतीश कुमार के सत्ता में आने के बाद सर्वप्रथम कल्याण विभाग को दो भागों में बाँटा। राज्य सरकार द्वारा सबसे पहले वर्ष 2007 में पिछड़ा एवं अतिपिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग का नोडल विभाग के रूप में गठन किया। साथ ही वर्ष 2007 में ही अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग का गठन माननीय नेता के नेतृत्व की सरकार में किया गया। जहाँ वर्ष 2004-05 में पूरे समाज कल्याण विभाग का बजट 40.48 करोड़ हुआ करता वहीँ आज आदरणीय नीतीश कुमार जी की दूरदर्शिता एवं कुशल वित्तीय प्रबंधन के परिणामस्वरूप सिर्फ अनुसूचित जाति और जनजाति विभाग का वित्तीय वर्ष 24-25 का बजट 2161.14 करोड़ रुपया है जबकि पिछड़ा एवं अतिपिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग का बजट 1878.53 करोड़ हो गया है।
चौधरी ने आगे कहा कि जो लोग कभी भी अनुसूचित जाति और जनजाति के हितैषी नहीं रहे, पंचायती राज व्यवस्था जो अनुसूचित जाति और जनजाति के संवैधानिक अधिकार थे, अपने 15 साल के शासन काल में जिन्होंने उन्हें वो संवैधानिक अधिकार देने का काम भी नहीं किया वो आज अनुसूचित जाति और जनजाति के हितों की रक्षा करने की बात कर रहे हैं।
चौधरी ने तेजस्वी द्वारा राज्य में निरंकुश अपराध के विषय पर उठाये गए सवाल पर कहा कि राजद के 15 वर्षों के कार्यकाल में आतंक चरम पर रहा। व्यावसायिक वर्ग, डॉक्टर्स, इंजीनियर से खुलेआम रंगदारी लिया गया। अपहरण उद्योग बन गया था तथा पलायन उत्कर्ष पर था। जातीय उन्माद जिसके कारण 118 नरसंहारों से पूरा मध्य बिहार लहूलुहान था। उन्होंने कहा कि उन 15 वर्षों के कार्यकाल में अपराधियों को जिस प्रकार राजनैतिक संरक्षण दिया जाता था क्या आज बिहार में ऐसे कोई सरकार द्वारा संरक्षित अपराधी को पनाह दिया जाता है।
चौधरी ने कहा कि जनता जानती है कि माननीय नेता नीतीश कुमार के कार्यकाल में आज जिस तरह से थानों में दर्ज आपराधिक मामलों को निष्पादित किया जा रहा है क्या तेजस्वी जी के माता-पिता के कार्यकाल में यह संभव था। आंकड़े बताते हैं कि नीतीश जी के पहले कार्यकाल में करीब कई हजार अपराधी जेल भेजे गए। राजद के कार्यकाल में चार्जशीट दाखिल होना और अपराधियों का जेल जाना सपना था। नीतीश शासनकाल में स्पीडी ट्रायल के जरिए अपराधियों में खौफ पैदा किया गया।
चौधरी ने आगे कहा की जिस समय लालू प्रसाद जी की केंद्र में अति महत्वपूर्ण भूमिका थी, यहाँ तक कि देश के प्रधानमंत्री तय करने में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान था, उस समय क्या बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिला या इसके लिए कोई गंभीर प्रस्ताव भारत सरकार के समक्ष रखा गया। यहाँ तक कि कोई आर्थिक पैकेज भी न मिला और न ही लालू -राबड़ी जी की सरकार ने इसके मांग की ज़रुरत समझी।
चौधरी ने कहा वर्ष 2005 में माननीय नेता ने जब बिहार की बागडोर सम्भाली थी, तब इस प्रदेश का बजट मात्र 23 हज़ार 885 करोड़ हुआ करता था लेकिन अपनी दूरदर्शिता और कार्यकुशलता, वित्तीय प्रबंधन और कठोर प्रशासनिक व्यवस्था से अपने 18 वर्ष के कार्यकाल में इसे 2 लाख करोड़ से भी ऊपर पहुँचाया है। उन्होंने कहा कि माननीय नेता के नेतृत्व में वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 2 लाख 78 हज़ार 725.72 करोड़ का बजट राज्य की जनता को समर्पित किया है। श्री चौधरी ने तेजस्वी से यह आग्रह किया है कि जब तेजस्वी अपने दौरे पर निकलें तो पिछले 18 वर्ष के किये गए कार्यों हेतु ह्रदय से सरकार की और नीतीश जी की खुले कंठ से प्रशंसा करें।